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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रबंधन अर्थात् मैनेजमेंट महत्वपूर्ण है……!


संयम स्वर्ण महोत्सव

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चंद्रगिरि, डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) में आयोजित आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का समाधि दिवस !
ग्रीष्मकालीन ज्यों ही आता है गुरूजी की पुण्य तिथि आ जाती है पिछली बार भी यह अवसर चंद्रगिरि को मिला था इस बार भी मिला है ! तीर्थंकरों के कल्याणक तोह हम मनाते ही है लेकिन पुण्य तिथि मनाने का अलग ही महत्व है ! गुरु उन्नत होते भी उन्नत बनाने में लगाए रखते है! सिद्धि में गुरुओं की बात कई विशेषणों में कई है ! परहित संपादन विशेषण बहुत महत्वपूर्ण दिया है ! प्रायः व्यवस्ताओं के सही नहीं होने के कारण गाड़ियाँ रुक जाती है !.गुरुदेव ने कुछ ऐसी ही बातें हमारे कानो में फुकी थी ! मोक्ष मार्ग में पढ़ा – लिखा ही आगे बढ़ता है यह भूल है ! व्यवस्थित हो तो आगे बढ़ता है ! गुरूजी ने कहा था अच्छे से विज्ञापन करना तो हम वैसे ही विज्ञापन कर रहे है ! महंगाई का जमाना है बाज़ार में मंदी आ गयी है ! व्यवस्था एक ऐसी चीज़ है जिसमें खर्चा होता है ! मैनेजमेंट ठीक हो तो सब ठीक होता है ! अपव्यय (फ़िज़ूल खर्च ) हो तो मैनेजमेंट ठीक नहीं माना जाता है ! प्रत्येक कार्य के लिए लोन लिया जा रहा है ! अलोना (बिना नमक का) भोजन लेना यह ही सलोना है !
भारतीय संस्कृति मितव्ययी होना सिखाती है ! ज्यादा खर्च हो रहा है इसलिए कर्ज हो रहा है ! पुलिस हिलती – डुलती नहीं संकेत में कार्य करती है ! (विशेष कार्यों में ) गुरूजी एक शब्द बोलते थे और कितना असर हुआ यह देखते थे ! एक बार आर्डर दिया जाता है ! मिलट्री में संकेत से ही काम होता है ! संयमी की पुण्य तिथि पर संयम से कार्य करना चाहिए ! संयमी की पुण्य तिथि को समझने के लिए संयम संयम की आवश्यकता होती है! वह ज्ञान वृद्ध, तपो वृद्ध थे ! नहीं हमारी उम्र है न ही तप हैं न ही काया है ! हमारे पास टूटे – फूटे दो ही शब्द है ! गुरूजी को मुलायम शब्द अच्छे नहीं लगते थे ! कमर को ठीक चाहते हो तो दिवार का सहारा ना लो ! कठोर शब्द नहीं किन्तु मित प्रिय शब्द का प्रयोग करो !

याद करने के लिए दिमाग की स्पीड बढाओ, सर्वप्रथम लेखनी अनुचर होती है फिर सहचर हो जाती है ! यह मूक माटी में लिखा है ! मोक्ष मार्ग में लिखना तो होता ही नहीं है ! व्यवस्ताओं में करोडो का व्यय हो रहा है ! गुरूजी कहते हैं हम भक्ति में प्रतिशत लगाते हैं यह गलत है ! दान के लिए दाता से महत्वपूर्ण पात्र होता है ! कार्य करने की क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में है, जिन्होंने पूर्व में कार्य किये है वह याद करे एक छोटी सी बात है लेकिन चोटि की बात है ! गुरुदेव ने एक छोटा सा मंत्र दिया था – विद्या का अध्यन महत्वपूर्ण है ! आज कल के बच्चों को विषय चुनने का अवसर दिया जाता है ! इंजीनियरिंग, ऍम बी ए, के क्रिय लोगों को काम में लगा दिया जाता है !

गुरूजी कहते थे थोडा पढो लेकिन काम का पढो ! योग्यता का जहाँ मूल्यांकन नहीं होता है वहां कुछ नहीं होता है ! गुरु जी बहुत गुरु थे व्यवहार ज्ञान उनका बहुत उन्नत था, अध्यात्म का ज्ञान उनकों बहुत अच्छा था ! हमारे गुरु वही के वही रहने वाले नहीं थे ! हमारे गुरु बहुत अच्छे थे जैसे माँ की ऊँगली बच्चे नहीं छोड़ते हैं ऐसे ही हमने नहीं छोड़ी, नहीं तो बाज़ार में घूम जाते ! गुरु मंजिल तक नहीं छोड़ते हैं (भावना से ) संकल्प लिया हुआ बहुत दिन तक टिकता है !

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