ट्राय अगेन एण्ड अगेन
छत्तीसगढ़ के प्रथम दिगम्बर जैन तीर्थ चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने रविवार को हुये प्रवचन में कहा की कई वर्ष पूर्व भोपाल में हुये त्रासदि के कारण आज भी कई जगहो के जल विषाक्त हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण उत्पादक मनुष्य स्वयं ही है। पर्यावरण दूषित करते हैं मनुष्य। दूषित मन को सत्साहित्य एवं उपदेश के माध्यम से हम ठीक कर सकते हैं। जल कितना भी दूषित क्यों न हो दिशा चेंज कर विधिवत उसे साफ (प्यूरीफाई) किया जा सकता है। मन को फिल्टराईज करें। गाड़ी चलाने वाले समय को बचाते हैं जबकि उन्हे अपनी जिंदगी को बचाना चाहिये। मन, वचन, काय तीनों दूषित हो रहे हैं। आप जितनी सुख – सुविधा में रहोगे उतना ही सम्यगदर्शन दूर रहेगा। भगवान की कीमत नहीं देखें उनके गुणों को देखें। हमें अपने दोषों को कम और गुणों को बढ़ाना चाहिये। जल प्रवाहित होता रहेगा तो ठीक रहता है। संगति अच्छी मिलती है तो सब ठीक हो जाता है। हे भगवान उलझे हुये मनुष्य को सुलझे हुये पशु – पक्षियों के उदाहरण देना आपके ही वश की बात है। मन, वचन, काय से भगवान की सच्ची भक्ति व पूजा की जाये तो सब ठीक हो जाता है। शिक्षक के द्वारा जब स्कूल में डाँटा जाता है तो पशुओं के नाम से डाँटा जाता है, उसके बिना व्यक्ति सुधरता नहीं है। हमने “मूक माटी” में लिखा है कि गधा भी अच्छा प्राणी है गद् + हा, गद = रोग, हा = दूर करने वाला, अर्थात् रोगो को दूर करने वाला। अज्ञान रूपी रोग को दूर करना चाहते हो तो गद्हा को साथी बना लो। यदि मनुष्य अपनी भीतरी आँखे खोल ले तो सब ठीक हो जायेगा। मनुष्य को अपने दोषों को कम और गुणों को बढ़ाने के लिये ” ट्राय अगेन एण्ड अगेन” करते रहना चाहिये।
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