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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

मांस निर्यात शर्मनाक है । 


संयम स्वर्ण महोत्सव

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चंद्रगिरि डोंगरगढद्य छत्तीसगढ़  में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा कि कर्नाटक वालों ने कहा कुछ उद्बोधन  कन्नड़ में हो, तो हम कुछ पंक्तियाँ सुनाते हैं – ‘‘मेहनत करो तो मीठा खाना भी सार्थक होता है ’’। एक पिता ने अपने पुत्र को पत्र लिखा उसमें धन को शक्ति कहा है लेकिन इसका दुरूपयोग नहीं करना। गाय, भैंस, हाँथि, घोड़े आदि को भी धन कहा है। आज भारत से मांस का निर्यात हो रहा है और गोबर अर्थात खाद का आयात हो रहा है यह शर्मनाक है। जिससे पशुओं की हिंसा हो रही है।
गुरू जी (आचार्य श्री ज्ञानसागर जी) ने राजस्थान के मदनगंज किशनगढ़  में यह कहानी सुनाई थी। जो हमें पहली बार याद आ गई है जिसमें ससुर अपनी चार बहुओं को पुड़ीया में बीज देता है। पहली बहु पुडिया खोलकर देखती है तो धान का बीज मिलता है उसे वह कचरे में फेक देती है और सोचती है कि जब ससुर जी मांगेंगे तो बोरी में से निकालकर दे दूंगी। दूसरी बहू उसे खा लेती है। तीसरी बहू उसे कपड़े में लपेटकर तीजोरी में रख लेती है और चैथी सबसे छोटी  बहु उन बीजों को अपनी बाड़ी में बोती है और उसको अच्छे से खाद – पानी देती है जिससे और बीज उत्पन्न होते हैं उसे वह सारे गाँव वालो को बाँट देती है। जिससे सभी के खेत लहलहा उठते हैं और हरे भरे हो जाते हैं और सारे गाँव को उसका लाभ होता है।
एक दिन ससुर जब अपनी चारों बहुओं से पुछते हैं कि उन्होने जो पुडिया दिया था तो उसका क्या किया ? तो बड़ी बहु ने बोरी से निकालकर दे दीया तो ससुर ने पूछा क्या यह वही बीज है जो मैने आपको दीये थे तो उसने कहा नहीं उसे तो मैंने फेक दिया तो उन्होने कहा आज से तूम घर में साफ सफाई का काम करोगी। दूसरी बहु से पूछा कि तूमने उन बीजों का क्या किया ? तो उसने कहा कि खा लिया तो ससूर ने कहा कि तूम रसोई घर का काम करोगी। तीसरी बहु से पूछा कि तूमने उन बीजों का क्या किया ? तो उसने कहा कि उसे तिजोरी में रख दिया था तो उसे दिखाने को कहा । जब उसने पुडिया देखी तो उन गेहूँ में गुन लग गया था वह सड़ गया था। तो ससुर ने तीसरी बहु को घर का धन संभालने के लिये तिजोरी की चाबी दे दी। चैथी बहु (छोटी बहु) से पूछा कि तूमने उन बीजों का क्या किया ? तो उसने कहा कि उन बीजों को घर की बाड़ी में बो दिया और आज उन्ही बीजों से सारे गाँव में गेहूँ की फसल लहलहा रही है और उस पुडीया के बीजो से आज ट्रकों में गेहूँ भरा गया है। तो ससूर ने कहा कि छोटी  बहु सबसे समझदार है और यह धन का सदुपयोग जानती है तो इसे ही गृहस्थी संभालने को दिया जाये जिससे कि धन का सही उपयोग हो सके। हमें धन का सही उपयोग करना चाहिये उसकी मदद करना चाहिये जिसको आवश्यकता  है।

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