भगवान की भक्ति से होता है कल्याण
भगवान की भक्ति से भक्त अपने आप को स्वयं भगवान बना सकता है। इसी उद्देश्य को लेकर आगामी तीस दिसंबर से आठ जनवरी तक छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के मुख्यालय जगदलपुर में चैबीसी समवशरण विधान का आयोजन हो रहा है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने नगर में होने वाले इस विश्व शांति महायज्ञ और चैबीसों जैन तीर्थंकरों की पूजा का महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा कि यह पुण्य अवसर है कि समूचे भारत वर्ष में तीसरे स्थान पर यह विशेष अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है। इसके लिए सीमित समय में बस्तर के दिगंबर जैन समाज ने जो तैयारियां की हैं वह प्रशंसनीय है। यह उल्लेखनीय है कि संभगीय मुख्यालय में आगामी 30 दिसंबर से यह विशेष अनुष्ठान आरंभ होकर 8 जनवरी तक संचालित होगा। इसके लिए रात दिन एक कर स्थानीय जैन समाज ने समूची तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। और निश्चित समय पर यह अनुष्ठान प्रांरभ हो जाएगा। इसके लिए पात्रों का चयन एवं अन्य व्यवस्थाओं का सिलसिला जारी है। महायज्ञ का निर्देशन ब्रम्हचारी विनय भैया बंडा वाले के द्वारा संपन्न होगा। इस अनुष्ठान से न केवल स्थानीय जैन समाज में अपूर्व उत्साह है वरन छत्तीसगढ़ सहित देश के कोने कोने से श्रद्धालु आकर इसमें भाग लेने की सहमति जता चुके हैं।
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि व्यक्ति राग द्वेष और विभिन्न बुराईयों से घिरा हुआ रहता है। जीवन में उसे शांति नहीं मिल पाती। जीवन में यदि शांति पाना है तो अध्यात्म और धर्म का पथ अपनाना ही होगा। प्रस्तुत विधान एवं पूजा अर्चना में हम अपने घर परिवार और अन्य चिंताओं को छोड़कर केवल प्रभु की भक्ति और आराधना करेंगे। इस आराधना एवं भक्ति से हम राग द्वेष और क्रोध मान को छोड़कर सभी बुराईयों से मुक्त होकर भक्त से भगवना बनने की प्रक्रिया में संलग्र रहेंगेे। स्मरण रहे कि हम जब तक संसार के वैभव को नहीं छोड़ेंगे, उसका त्याग नहीं करेंगे तब तक वीतरागता प्राप्त नहीं होगी। इस आयोजन से न केवल मानव अपने आप को भगवान बनने की दिशा में वीतरागता पाने के लिए प्रस्तुत होगा वरन त्याग, संयम व तप के माध्यम से स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए सार्थक प्रयास करेगा। इस अनुष्ठान में संपूर्ण विश्व के कल्याण एवं मंगल की भावना भी निहित है जो मंत्रों के माध्यम से निश्चय ही फली भूत होगी।
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