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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

शब्दों को नहीं भावों को पकडो


संयम स्वर्ण महोत्सव

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सुप्रसिद्ध सन्त षिरोमणि दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी ने मैकल शैल षिखर पर उपस्थित समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि सजग श्रोता वक्ता की कठिनाई पकड़ लेता है, शब्दों की यात्रा कान तक तथा भाव की मन तक होती है। भावों का महत्व बताते हुए समझाया कि भावाभिव्यक्ति के लिए शब्दों की अनिवार्यता नहीं है, मौन और संकेत से भी भाव व्यक्त हो जाते हैं।
आचार्य श्री विद्यासागर जी ने कहा कि शब्द के अभाव में संकेत अच्छी तरह काम कर देता है। शीतल हवाओं के प्रभाव से शारीरिक क्षमता प्रभावित हो जाती है। अधिक ठण्ड होने पर अग्नि की ऊष्मा जीवन को बचाती है। शीतकाल में अग्नि को अमृत कहा जाता है जबकि अग्नि मारक तत्व है। मरणासन्न अमृत चख लेता है तो मरण का विघ्न टल जाता है । ठण्ड में अग्नि सहारा देती है। हाँथ पैर ठण्डे होने पर कहते हैं कि शीघ््राता से गरम करने का उपाय करो नहीं तो हाँथ धो बैठोगे। यहाँ हाँथ धोने का शाब्दिक अर्थ से प्रयोजन नहीं है भावार्थ समझा जाता है कि समय पर उपाय नहीं हुआ तो फिर राम नाम सत्य है। राम नाम सत्य है का भाव समझा जाता है। उपयुक्त अर्थ प्रकट करने के लिये शब्दों का प्रयोग नाप तौल कर किया जाता अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो जाता है। यह समझाते हुये आचार्य श्री ने श्रोताओं से कहा कि भाव को तौलने की कौन सी तुला है ? शब्द की अपेक्षा संकेत अधिक तलस्पर्षी मर्मस्पर्षी होते हैं मन के भीतर पहुँच जाते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि निषंक होना ही सम्यकदर्षन है। शंकाएँ विचलित कर रही है प्रभु की सभा (समवषरण) में उपस्थित प्राणी निषंक हो जाते हैं । प्रभु की वाणी किस भाषा में है इससे प्रयोजन नही, संकेत क्या है भाव समझ में आ जाता है। हंसने, रोने, बोलने, देखने, पंूछने का कोई प्रष्न ही नहीं। समवषरण में प्रष्न नहीं निषंक है। शंका समाप्त होते ही शांति व्याप्त हो जाती है जहाँ शंका वहाँ शांति नहीं । आचार्य श्री ने समझाया कि शब्दों में मत उलझो भावों को पकडो। । मन वचन तन से शांत होने का प्रयास करो। शरीर में गांठ हो तो उपचार कराते हैं, औषधि देकर गांठ घोलने का प्रयत्न करते हैं गांठ समाप्त होते ही शरीर स्वस्थ्य हो जाता है ऐसे ही मन की गांठें समाप्त होते ही मन स्वस्थ्य और जीवन श्रेष्ठ हो जाता है। आचार्य श्री ने समझाया कि जिन बिम्ब के दर्षन से शंका समाप्त हो जाती है। आचार्य श्री विद्यासागर जी ने हास बिखेरते हुए कहा उपस्थित जन समुदाय ग्रीष्म कालीन वाचना की याचना कर रहा है किन्तु अमरकंटक में तो शीतलता व्याप्त है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के प्रवचन उपरान्त ब्रह्मचारी दीपक भैय्या ने बताया कि दिल्ली में आचार्य श्री सन्मति सागर महाराज का समाधि मरण हो गया है। उपस्थित समुदाय ने दो मिनट का मौन रखकर भावांजलि व्यक्त की।
संत षिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महा मुनिराज जी के आषीष से छत्तीसगढ़ की प्रथम  ‘‘प्रतिभास्थली’’ बालिकाओं के लिए सी.बी.एस.ई. पाठ्यक्रम पर मातृभाषा हिन्दी माध्यम में आज्ञानुवर्ती षिष्या आर्यिका श्री 105 आदर्षमति माता जी के पावन सानिध्य में नव षिक्षण संस्था का शुभारंभ समारोह शनिवार, 23 मार्च 2013 दोपहर 02ः00 से 04ः00 बजे रखा गया है जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित है।

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