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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

दिल से दिल मिलाना बहुत बड़े दिल वाले का काम होता है : आचार्यश्री


संयम स्वर्ण महोत्सव

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मंगल प्रवचन : आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज (कुंडलपुर) [06/06/2016]

 

कुंडलपुर। कार्यकर्ता अपने कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। कार्य करते समय का ध्यान नहीं रहता है। कर्तव्य करते समय का ध्यान रखें। समय पर कार्य होता जाए। सागर का जल बहुत राशि व्यय के बाद उसको हम उपयोग योग्य बनाते हैं।

संग्रह हुआ सागर का जल खारा होता ऊर्जा लगाकर सूर्य नारायण ऊपर उठाते हैं। सूर्य नारायण की ऊर्जा लगते उर्ध्वमान करता वाष्पित हो ऊपर बादलों का रूप धारण कर नीचे बरसना प्रारंभ हो जाता है। धरती-पहाड़ों पर वह पानी गिरता। विद्धानों ने इसे निम्नगा कहा, जो जल नीचे की ओर गिरता। स्वर्गों में खेती नहीं होती, धरती पर ही बीज बोए जाते हैं। ऊपर से पानी की पूर्ति होकर बीज अंकुरित होता है।

उक्त उद्गार विश्व संत दिगंबराचार्य पूज्य विद्यासागरजी महामुनिराज ने कुंडलपुर महामहोत्सव में प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने देश के कोने-कोने से आए हजारोहजार श्रद्धालुओं के बीच कहा कि अंकुरित होने की क्षमता मात्र धरती में है। धरती में जो अंकुर उत्पन्न होता है, वह सात्विक हो, जिससे जगत का हित हो। जगत के कल्याण हेतु पुरुषार्थ आवश्यक है। जो व्यक्ति उठ नहीं पा रहा, उसे ऊंचा उठाने का पुरुषार्थ हो। धरती कठोर होती गिरे हुए जल कण से भीग जाती। उसे देख कठोर हृदय भी भीग जाते हैं।

आचार्यश्री ने कहा कि हमें अपनी ऊर्जा शक्ति, प्रतिभा का उपयोग करना है। जो नीचे हैं, पतित हैं, उन्हें उठाने का उपक्रम होना चाहिए। संयम के माध्यम से हम ब्रेन को स्थिर कर सकते हैं। 5 इन्द्रियों से मन पागल होता व चंचल रहता, उसे नियंत्रित करें। ज्ञान चिल्लाता है, जब आपत्ति आ जाती है। आस्था का केंद्र दिल होता है, धैर्य होता है, ज्ञान की भूख होती है, प्यास होती है। दिल को जोड़ने का काम दिल ही करता है, ज्ञान माध्यम नहीं हो सकता। दिल से दिल मिलाना बहुत बड़े दिल वाले का काम होता है। प्रत्येक कण में अंकुरित होने की क्षमता है। जल पाते ही अंकुरित हो जाता है। न्यूनका एक नदी का नाम है। नीचे की ओर बहती है। भीतर डला हुआ बीज छोटा क्यों न हो, वह वटवृक्ष का रूप धारण कर लेता।

आचार्यश्री ने एक बुंदेलखंडी शब्द ‘हओ’ का प्रयोग प्रवचन में करते हुए हास्य बिखेरते कहा कि हओ यह बुंदेलखंड का मंत्र है। यह सब लोग सीखें। हओ से एक आवाज आती, मंत्र बन जाता है। बड़े से बड़ा कार्य हो जाता हओ कहने से।

आचार्यश्री ने कहा कि खारे जल में दाल-चावल-खिचड़ी पकती नहीं। पानी मीठा होता तो उसमें पक जाती। हमें मीठे जल की आवश्यकता है। यह धरती की कृपा है। जहां बीज अंकुरित होता वह मीठा जल है। धरती पर भारी जल भी है। तो वह कोमल हो बीज अंकुरित करने की क्षमता हो। वात-पित्त-कफ के माध्यम से रोग का निदान होता है। बिना कारण कोई कार्य नहीं होता है। हम लोग असंयमित होने कारण आगे नहीं बढ़ रहे हैं। चिकित्सा क्षेत्र में संयमित होना बहुत आवश्यक है। दुनिया में परिवर्तन चाहते हैं। आत्मा में परिवर्तन का उपक्रम जब चाहे आप कर सकते है। चिंता का विषय नहीं, चिंतन का विषय है।

जयकुमार जलज ने बताया कि प्रात: बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक करने हेतु श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। एक-एक कर क्रम से आकर बड़ी संख्या में भक्तजनों ने अभिषेक कर पुण्य अर्जित किया।

इस अवसर पर मप्र शासन के उच्च शिक्षामंत्री उमाशंकर गुप्ता, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरिताजी का सम्मान कुंडलपुर क्षेत्र महोत्सव समिति ने किया। सरिताजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इतने बड़े महोत्सव में आपको अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

पूज्य बड़े बाबा एवं आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन प्राप्त हो रहे हैं। आप लोग तीर्थ क्षेत्र कमेटी के आजीवन सदस्य बनें एवं तीर्थ क्षेत्रों को बचाने हेतु आगे आएं। अपने तीर्थ क्षेत्रों के संरक्षण, संवर्द्धन हेतु सतत प्रयासरत रहें। बड़े बाबा का मंदिर शीघ्र बने।

इस अवसर पर वित्तमंत्री जयंत मलैया, दमोह सांसद प्रहलाद पटेल, पथरिया विधायक लखन पटेल, दमोह नगर पालिका अध्यक्ष मालती असाटी ने कुंडलपुर पहुंचकर आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद ग्रहण किया।

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