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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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पूर्ण पथ लो - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू १‍५


संयम स्वर्ण महोत्सव

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Haiku (15).jpg

 

 

पूर्ण पथ लो,

पाप को पीठ दे दो,

वृत्ति सुखी हो।

 

भावार्थ- आचार्य महाराज सुखी होने का सहज उपाय बताते हुए कहते हैं कि संसारी प्राणियों के हिंसा आदि पाँच पापों का त्याग करके सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र रूप रत्नत्रय अर्थात् मोक्ष के मार्ग का अवलम्बन लो, तभी शाश्वत सुख प्राप्त कर सकोगे । 

आर्यिका अकंपमति जी 

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

2 Comments


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Path ka Matlab Aushdhi. Hamara Janma Maran Ka Rog samapt hoga Kahan ?  Moksh path (SE) Par. Us path par Chalne ke liye PAAP se MUH MODNA HOGA. VRATTI Nirvratti se pahele ki awastha Hai jo ki Punya ke sath chaleni ki charitra ki kriya Hai.Aisi  moksh path ki saral aur sidhi line ij chalte rahne se hardam harpal sukhi rahoge.

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