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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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तीर्थंकर क्यों - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू १‍१‍


संयम स्वर्ण महोत्सव

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haiku (11).jpg

 

तीर्थंकर क्यों,

आदेश नहीं देते,

सो ज्ञात हुआ।

 

भावार्थ-दीक्षा लेते ही तीर्थंकर भगवान् मौन हो जाते हैं क्योंकि पूर्ण ज्ञान (केवलज्ञान) का अभाव होने से असत्य का प्रतिपादन हो जाने की संभावना रहती है । इसी कारण वे किसी को आदेश नहीं देते और केवलज्ञान हो जाने के बाद भी बोलने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि दिव्य देशना के माध्यम से वस्तु तत्त्व का प्रतिपादन स्वयं ही हो जाता है ।

आर्यिका अकंपमति जी 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।

लिखिए हमे आपके विचारक्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।

  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

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