भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव और शुभ दीपावली के मंगल अवसर पर
भगवान महावीर स्वामी 24वें तीर्थंकर जिनके शासनकाल में हम सभी श्रावक धर्मचर्या करते हैं आज उनके मोक्ष कल्याणक का महामहोत्सव उन्ही के लघुनंदन आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के ससंघ सानिध्य में जैन मंदिर हबीबगंज में भक्ति भाव से सानंद सम्पन्न हुआ।
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि जो व्यक्ति ऋण ले लेता है और नहीं दे पाता वो दिवालिया हो जाता है आज के दिन भगवान भी संसार के बैभव से दिवालिया हो गए। अनंत सिद्ध परमेष्टि भी संसार की चमक दमक से दिवालिया होकर मोक्ष महल पहुँच गए।
उन्होंने कहा कि आज चारों तरफ लोभ लालच का समरे फैला है। आँख बंद हो सकती है परंतु मन बंद नहीं हो सकता, आज मन चलायमान रहता है इसी कारण से चित्त में स्थिरता नहीं आ पा रही है। जब हम चित्त में स्थिर होना प्रारंभ करते हैं तब कर्मों की निर्जरा होती है और तभी हमारी वास्तविक यात्रा प्रारम्भ होती है। हमारी यात्रा अध्यात्म से प्रारंभ होकर मोक्ष मार्ग तक तभी पहुँचती है जब हम भीतर से खाली होना प्रारम्भ करते हैं।
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