आपकी दृष्टि दूसरों पर
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि आपकी दृष्टि दूसरों पर है, पराये दृश्य को आप अपना दृश्य समझ रहे हो तो दोष आपका ही है क्योकि दृष्टि स्वयं के दोषों पर जायेगी तभी निर्दोष चर्या हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि यदि भेद विज्ञान को मानते हो, यदि स्वाध्याय करते हो तो आपको धर्म की रस्सी बाँधना पड़ेगी ताकि आप संसार में कहीं खो न जाओ। भेद विज्ञान का प्रयोजन है की आप मोह को छोड़कर मोक्ष की तरफ अग्रसर हों। राग द्वेष की प्रवत्ति आपको मोह के बंधन से मुक्त नही होने देती है। अध्यात्म में गहरे रहस्य छिपे हैं जिन्हें समझने के लिए धर्म की धारा में अविरल रूप से निरंतर बहते रहना चाहिए। अध्यात्म को एक पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार करेंगे तो हमारा मोह गलता जाएगा, निरंतरता का आभाव नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भेद विज्ञान के माध्यम से चलेंगे तो मोह की बेड़ियां टर टर टूट जाएंगी और कर्म आपके शिकंजे में कसते चले जाएंगे। क्षमता के अनुसार त्याग की सीढियां चढ़ना चाहिए, प्रतिमा (व्रत) क्रम से अपने शरीर की क्षमता के अनुसार लेना चाहिये।
आज दोपहर में पंजाब और हरियाणा के राज्यपाल श्री कप्तान सिंह सोलंकी ने आचार्य श्री को श्रीफल समर्पित कर उनका आशीष ग्रहण किया।
इस अवसर पर जनहित के अनेक मुद्दों पर दोनों के मध्य 15 मिनट तक चर्चा हुई। आचार्य श्री ने कहा कि जब लोकतंत्र है तो जनता को उसके पूर्ण अधिकारों की प्राप्ति होनी चाहिए तभी लोकतंत्र बहाल रह सकता है। श्री सोलंकी ने कहा कि राष्ट्रधर्म का पालन करना प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना शासन और प्रशासन में बैठे लोगों का कर्तव्य है, सबसे बड़ा लोकतंत्र है भारत जहां भाषा, धर्म,संस्कृति की आजादी प्रत्येक व्यक्ति को है। आचार्य श्री ने कहा की शिक्षा को सुलभ और भारतीय परंपरा के अनुरूप बनाने में आप जैंसे विद्वानों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए तभी राष्ट्र की तक़दीर और तस्वीर को वेहतर बनाया जा सकेगा। श्री सोलंकी ने कहा कि आप जैंसे तपस्वी और मनीषियों के मार्गदर्शन से ही सबको ऊर्जा मिलती है और कार्य सही दिशा में होते हैं। इस अवसर पर उनके पुत्र तथा भाजपा नेता अनिल अग्रवाल लिली भी उनके साथ थे।
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