मनुष्यों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां पनप रहीं हैं
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि आज मनुष्यों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां पनप रहीं हैं जिनके लिए विशेष योग्यता बाले चिकित्सक बुलाये जाते हैं। मधमेह की बीमारी तो तेजी से पनप रही है। देवलोक में देवों को कभी कोई बिमारी नहीं होती न ही चिकित्सकों की कोई आवश्यकता उनहे पड़ती है। कषाय और चिंता से रहित होने पर ही आरोग्यता शरीर में आती है, इसके विपरीत देवलोक में कषायों की मंदता रहती है,शारीरिक और मानसिक रोगों से रहित होता है देवों का जीवन।
उन्होंने कहा कि आत्मपुरुषार्थ अलग बस्तु है और कषायों की मंदता अलग बस्तु है। आप लोग कहते हो कि इतिहास में क्या रखा है, ये किस काम का है, जबकि इतिहास ही हमें जीवन की सही दिशा का बोध कराता है क्योंकि इतिहास के यथार्थ को जानकर ही भविष्य का सही निर्धारण होता है। हमारे भीतर बहुत खटक पटक चलती रहती है, जब तक ये भीतरी खटक पटक समाप्त नहीं होती तब तक बाहर का वातावरण भी प्रदूषित बना रहता है। जिनवाणी या आगम में हमें ये जानने को मिलता है कि हम पूर्व में कहाँ से आये हैं और भविष्य में अपनी अच्छी गति का निर्धारण कैंसे करे। जिस तरह टिकट के लिए लाइन में लगते हो उसी प्रकार स्वर्ग और मोक्ष की टिकट के लिए हमारी कठिन तप बाली लाइन में तो आपको लगना ही पडेगा।
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं महाराज आजकल आप धर्म की डोज ज्यादा दे रहे हो,कभी कभी चिकित्सक को रोग के हिसाब से ओषधि की मात्रा भी बढ़ाना पड़ती है। जो पौराणिक रोग होते हैं उनको सही करने के लिए पौराणिक तरीके का इलाज करना पड़ता है। जो शरीर के लिए आवश्यक हो भले ही कड़वी हो परंतु ओषधि देना तो पड़ती है।
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