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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

सरकार विज्ञापन के माध्यम


संयम स्वर्ण महोत्सव

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पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में हम जिस यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं वह हमारी कृषि को कमजोर तो बना ही रहा है साथ ही हमारे स्वास्थ्य को भी नुक्सान पहुंचा रहा है। सरकार भी इस और ध्यान नहीं दे रही है ,सरकार आप स्वयं बनो और इस तरफ आप खुद ही ध्यान दो। सरकार विज्ञापन के माध्यम से बातें तो बहुत सी करती है परंतु सही दिशा की और सार्थक कदम नहीं उठा ती है। आज अपने बच्चों को हमें स्वयं ही सही शिक्षा का ज्ञान कराने की जरूरत है क्योंकि यदि भारत का भविष्य उज्जवल और सुरक्षित बनाना है तो संस्कारों की मजवूत नींव तो हम सब को मिलकर ही डालनी होगी।

 

उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली का जो व्यवसायीकरण हो रहा है बो भविष्य के लिए अच्छे परिणाम नहीं दे सकता। अच्छे और लुभाबने विज्ञापन देकर शिक्षा संस्थाएं अच्छी शिक्षा का ढिंढोरा पीटती हैं बो दूर के ढोल सुहाबने सिद्ध होती हैं। शिक्षा और दीक्षा ये दोनों बहुत महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं इनमें किसी प्रकार का कोई समझोता नहीं होना चाहिए।

 

आचार्य श्री ने आजकल जो अशुद्ध खाद्य सामग्रियों का चलन चल रहा है उस पर अपनी बात कहते हुए कहा की हम अपने बच्चों को स्वयं ही जहर देने का काम आँख मूंदकर कर रहे हैं और उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। विद्यार्थियों को जब तक शुद्ध आहार नहीं मिलेगा उनका शारीरिक और मानसिक विकास संभव नहीं है। हम से अधिक विवेक तो मूक प्राणियों में होता है जो सोच समझकर सामग्री को खाते हैं। अच्छे अच्छे पढे लिखे लोग भी इस दिशा में अज्ञानी बने हुए हैं। कुँए और नदी का शुद्ध जल छोड़कर बंद बोतल का तत्व रहित जल पीने के आदि स्वयं भी बने हैं और बच्चों को भी बना रहे हैं। ये कौनसे पढ़े लिखे होने की निशानी है। जिसे आप बिसलरी बता रहे हैं बो धीमे बिष का काम कर रहा है क्योंकि उसमें जरूरी तत्वों का आभाव है । प्राशुक और छने जल को रोग का कारण बताया जा रहा है और तत्वरहित जल को पीने की सलाह खुद चिकित्सकों द्वारा दी जा रही है । मेरे द्वारा किये गए इन जटिल प्रश्नों का हल आपको स्वयं को ही खोजना होगा तभी रोग रहित और योग सहित स्वस्थ्य भारत और सशक्त समाज के निर्माण की दिशा में आप सार्थक कदम बढ़ा सकेंगे।सरकार की तरफ टकटकी लगाकर देखने की अपेक्षा आप स्वयं ही सरकार बनकर सामाजिक ताने बाने को दुरुस्त करने का उपक्रम प्रारम्भ करें।

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