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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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चाँद को देखूँ - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ८


संयम स्वर्ण महोत्सव

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haiku (8).jpg

 

चाँद को देखूँ,

परिवार से घिरा,

सूर्य सन्त है |

 

भावार्थ- सौरमण्डल में देखते हैं तो चन्द्रमा इन्द्र है और अपने परिवार यानि अन्य ग्रह, नक्षत्र, तारों से घिरा रहता है लेकिन सूर्य दिन में आकाश में अकेले ही दैदीप्यमान होता है । उसी प्रकार संत-साधु निस्संग, एकाकी ही विचरण करते हैं, गृहस्थ परिवार जनों से घिरे रहते हैं । 

संस्मरण-आचार्य श्री से किसी ने कहा कि आप इतने विशाल संघ के नायक हैं। तब आचार्यश्री ने उत्तर दिया कि हम नायक नहीं, ज्ञायक हैं ।

आर्यिका अकंपमति जी 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

1 Comment


Recommended Comments

चाँद ताराओं और नक्षत्रों द्वारा घिरा रहता है अर्थात गृहस्थों की तरह परिवार से घिरा रहता है। पर सुुर्य संत की तरह अकेला रहता है।

Edited by Amit Jain Ranchi
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