Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • entries
    108
  • comments
    3
  • views
    23,533

Contributors to this blog

प्रवचन - 56 वां स्वर्णिम संस्मरण


संयम स्वर्ण महोत्सव

456 views

सागर नगर में श्री धवल जी ग्रंथ की वाचना के समय अनेक विद्वानों की उपस्थिति में, सोलहकारण भावना के अंतर्गत प्रवचन भक्ति भावना के प्रसंग को लेकर आचार्य श्री ने कहा कि - आज शास्त्रों की उचित विनय नही की जा रही है और प्रवचन के नाम पर परवचन चल रहा है। तब पास में ही बैठे पंडित कैलाश चन्द जी ने कहा कि-परवचन नही आज तो परवचन चल रहा है। परवचन का अर्थ है - दूसरों को ठगना। यह सुनकर सभी लोग हँस पड़े।

 

लेकिन ध्यान रहे ठगे जाना उतना नुकसान दायक नही है कि जितना नुकसान दायक है दूसरों को ठगना। क्योंकि मायाचारी करने से तिर्यचायु का आश्रव होता है।

चेतन में ना भार है, चेतन की ना छाँव।
चेतन की फिर हार क्यों ? भाव हुआ दुर्भाव।।

पुस्तक अनुभूत रास्ता

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Create an account or sign in to comment

You need to be a member in order to leave a comment

Create an account

Sign up for a new account in our community. It's easy!

Register a new account

Sign in

Already have an account? Sign in here.

Sign In Now
  • बने सदस्य वेबसाइट के

    इस वेबसाइट के निशुल्क सदस्य आप गूगल, फेसबुक से लॉग इन कर बन सकते हैं 

    आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल एप्प डाउनलोड करें |

    डाउनलोड करने ले लिए यह लिंक खोले https://vidyasagar.guru/app/ 

     

     

×
×
  • Create New...