नमस्कार में चमत्कार - संस्मरण क्रमांक 35
☀☀ संस्मरण क्रमांक 35☀☀
? नमस्कार में चमत्कार ?
पथरिया नगर की बड़े मंदिर में नई वेदी पर पारसनाथ भगवान को विराजमान किया जा रहा था, पाषाण की प्रतिमा वजन में भारी थी,व्यवस्थित वेदी पर रखी नहीं जा रही थी, हम सभी साधक गुरुदेव के साथ वही उपस्थित थे। बहुत प्रयास के बाद जब प्रतिमा जी नहीं विराजमान हो पाई तो आचार्य महाराज से कहा आप प्रतिमा जी में हाथ लगा दीजिए ताकि प्रतिमा जी विराजमान हो जाए,
आचार्य भगवान ने जैसे ही प्रतिमा जी में हाथ लगाया प्रतिमा जी व्यवस्थित वेदी में विराजमान हो गई यह देख सभी लोग आनंदित हो उठे, सारा मंदिर जय - जयकारों के नारों से गूंज उठा।
आचार्य महाराज से हम लोगों ने कहा आपने हाथ लगाया और चमत्कार हो गया,आचार्य महाराज सहसा ही बोल उठे-नहीं मैंने हाथ नहीं लगाया था बल्कि भगवान को नमोस्तु किया था।
गुरु महाराज की महिमा निराली है वह हमेशा आपने कार्य की सफलता को गुरु या प्रभु का आशीर्वाद ही मान कर चलते हैं कभी मेरे द्वारा ऐसा हुआ नहीं कहते हैं,सच बात है, मिथ्यादृष्टि चमत्कार को नमस्कार करते हैं, और सम्यक दृष्टि जहां नमस्कार करते हैं वहां चमत्कार हो जाता है।
गुरुदेव हमेशा अपनी लघुता प्रदर्शित करते हैं कभी भी यह कार्य मेरे द्वारा हुआ ऐसा नहीं मानते उनके सानिध्य में हुआ कुंडलपुर में इतना बड़ा चमत्कार किसी से छुपा नहीं है लाखों श्रद्धालु जनों ने अपनी आंखों से देखा है यह जड़ का चमत्कार नहीं बल्कि चिट्चमत्कार है।
? अनुभूत रास्ता ?
? मुनि श्री कुंथुसागर महाराज
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