Jump to content
सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

पुस्तक परिचय एवं प्राप्ति स्थान


Vidyasagar.Guru

577 views

संसारी जीव अनादिकाल से कर्म संयुक्त दशा में रागी-देषी होकर अपने स्वभाव से च्युत होकर संसार-परिभ्रमण कर रहा है। इस परिभ्रमण का मुख्य कारण अज्ञानतावश कर्म-आस्रव और कर्मबंध की प्रक्रिया है जिसे हम निरंतर करते रहते हैं। कर्म बंध की क्रिया अत्यन्त जटिल है और इसे पूर्ण रूप से जान पाना अत्यन्त कठिन है, लेकिन यदि हमें केवल इतना भी ज्ञान हो जाए कि किन कार्यों से हम अशुभ कर्मों का बंध कर रहे हैं तो सम्भव है हम अपने पुरुषार्थ को सही दिशा देकर शुभ कर्मों के बंध का प्रयास कर सकते हैं। जयपुरवासियों के पुण्योदय से सन् 2002 में मुनि श्री क्षमासागरजी का चतुर्मास वहाँ पर हुआ था और लगभग 7-8 माह तक प्रतिदिन प्रवचन आदि का लाभ उन्हें सहज ही उपलब्ध हो गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने 18 प्रवचनों से जन-साधारण को कर्म सिद्धान्त के जैनदर्शन में प्रतिपादित विषयों से अवगत कराने हेतु अत्यन्त सरल भाषा में उन परिणामों को स्पष्ट किया है जिनके कारण हम निरन्तर अशुभ कर्मों का बन्ध करते रहते हैं। प्रायः सभी भारतीय दर्शनों में कर्म सिद्धान्त पर विचार किया गया है, लेकिन जैन आचार्यों ने कर्म बंध और कर्म फल प्रक्रिया का जैसा सूक्ष्म वर्णन किया है, अन्यत्र प्राप्त नहीं है।

 

Place order online 

पुस्तक प्राप्ति स्थान :

https://new.maitreesamooh.com/index.php?option=com_virtuemart&view=productdetails&virtuemart_product_id=1&virtuemart_category_id=1&Itemid=390

 

https://new.maitreesamooh.com/

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Create an account or sign in to comment

You need to be a member in order to leave a comment

Create an account

Sign up for a new account in our community. It's easy!

Register a new account

Sign in

Already have an account? Sign in here.

Sign In Now
  • बने सदस्य वेबसाइट के

    इस वेबसाइट के निशुल्क सदस्य आप गूगल, फेसबुक से लॉग इन कर बन सकते हैं 

    आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल एप्प डाउनलोड करें |

    डाउनलोड करने ले लिए यह लिंक खोले https://vidyasagar.guru/app/ 

     

     

×
×
  • Create New...