दमन, चर्म - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ११५
दमन, चर्म-,
चक्षु का हो, नमन,
ज्ञान चक्षु को।
हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
आओ करे हायकू स्वाध्याय
- आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं।
- आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं।
- आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं।
लिखिए हमे आपके विचार
- क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं।
- इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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