भक्त अपनी भक्ति से एकदिन भगवान भी बन सकता है: आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
खातेगांव! हर क्षेत्र की अपनी अलग-अलग विशेषता होती है। नर्मदा के नाभिस्थल पर स्थित सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर की भी अपनी अलग विशेषता है। जैन इतिहास में नर्मदा तट को वैराग्य साधना का पवित्र स्थान माना जाता है, वहीं सनातन संस्कृति में भी नर्मदाजी का एक विशिष्ट स्थान है। भक्त अपनी भक्ति से एकदिन भगवान भी बन सकता है। श्रम करो, समर्थ बनो, एक दिन महावीर भी बन सकते हो।
उक्त विचार आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने रविवारीय प्रवचन के दौरान कही। आचार्यश्री ने आगे कहा इंदौर प्रतिभास्थली के लिए बड़ी संख्या में दानदाताओं ने दान की घोषणा कर मंगलाचरण किया है, यह नेमावर सिद्धक्षेत्र से एक बहुत अच्छी शुरुवात है। आप लोग दान दे रहे हैं, दे सकते हैं, हम तो सिर्फ आशीर्वाद दे सकते है। आपके दान से स्कूल नहीं, विद्यालय का निर्माण होने जा रहा है। जिस तरह भारत में निर्मित पहला उपग्रह रूस से छोड़ा गया था, वैसे ही आज इंदौर के लिए एक अच्छे प्रकल्प की शुरुआत सिद्धोदय नेमावर की इस पवित्र भूमि से होने जा रही है। इंदौर वालों को बाँधना आसान नहीं था, लेकिन इस प्रतिभास्थली ने सभी को एक रूप में बाँध दिया है। आचार्यश्री ने कहा कि महानगर इंदौर के लोग मंगलाचरण करने आज यहां आए हैं, यह अपूर्व अवसर सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र को मिला है। आगे का इतिहास इसी मंगलाचरण से इंदौर के लिए बनने वाला है।
सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने सभी दान-दाताओं का सम्मान किया। प्रवचन के अंत में सभागार में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने दिल्ली में समाधिरस्थ राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानंदजी महाराज को णमोकार मंत्र का नौ बार जाप कर विनयांजलि दी। रविवार को आचार्यश्री के आहार का सौभाग्य इंदौर के सचिन जैन (उद्योगपति) परिवार को प्राप्त हुआ।
जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी, पुनीत जैन (पट्ठा) ने बताया कि इंदौर में आचार्यश्री के आशीर्वाद से शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी पहल प्रतिभास्थली के रूप बनने जा रही है। रविवार को इंदौर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आचार्यश्री को इंदौर पधारने का निवेदन करने हेतु नेमावर पहुंचे थे। इसके साथ ही इंदौर में सहस्त्रकूट जिनालय (1008 प्रतिमा वाला) के निर्माण की घोषणा भी की गयी। यह आचार्यश्री के आशीर्वाद से बनने वाला 19 वां सहस्त्रकूट जिनालय होगा।
ब्रम्हचारी सुनील भैयाजी ने बताया कि आचार्यश्री के आशीर्वाद से अमरकंटक में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की विश्व की सबसे वजनदार अष्टधातु की प्रतिमा (कमलसिंघासन सहित 52 टन) विराजमान की गयी है, वहीँ जबलपुर में भी नर्मदा तट के समीप भारत का सबसे बड़ा आयुर्वेद औषधालय (पूर्णायु) निर्माणाधीन है। इसी श्रृंखला में नेमावर में भी पाषाण के सहस्रकूट जिनालय के साथ भव्य जैन मंदिर और संत निवास का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.
Create an account or sign in to comment
You need to be a member in order to leave a comment
Create an account
Sign up for a new account in our community. It's easy!
Register a new accountSign in
Already have an account? Sign in here.
Sign In Now