हथकड़ी से हथकरघा की ओर बढ़ रहे हाथों की चर्चा हर जगह, युवा हस्तक्षेप की जगह हस्तकला में बनें निपुण : आचार्यश्री
पिछले दिनों से हथकड़ी से हथकरघा की ओर बढ़ रहे हाथों की चर्चा है। जिसका शंखनाद केंद्रीय जेल सागर से हुआ और पूरे देश को आकर्षित कर रहा है। युवा पीढ़ी को हस्तक्षेप की बजाय हस्तकला में निपुण बनना होगा। कभी-कभी अनावश्यक हस्तक्षेप हमें हथकड़ी पहनने पर मजबूर कर देता है। हथकरघा से बने वस्त्र पहनने से हम न्याय व शांति प्रिय बन जाते हैं। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में आयोजित राष्ट्रीय हथकरघा संगोष्ठी के समापन पर कही। उन्होंने कहा कि जब देश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी बोलने पर दंड दिया जाता हो तो हम नए भारत का निर्माण कैसे कर सकते हैं। इससे पहले संगोष्ठी के दूसरे दिन का शुभारंभ प्रदेश के पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने किया।
उन्होंने कहा कि शासन की पर्यटन बेवसाइट पर आचार्यश्री के प्रकल्पों मंदिर व हस्तकला केंद्रों को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। जहां-जहां आपके चरण पड़ते हैं, वहां हमेशा सकारात्मक परिवर्तन आ जाता है। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कहा कि हथकरघा के वस्त्र मंहगे हो सकते हैं लेकिन आपके स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं हैं । आदिवासी इलाकों में चल रहे चरखा प्रशिक्षण का कार्य देख रहीं नीरज दीदी ने कहा कि आचार्यश्री की भावना से 1999 में प्रतिभामंडल का उदय हुआ, जिसमें आज 300 बहने समर्पण भाव से कार्य कर रही हैं। रविशंकर वार्ड सागर में संचालित हथकरघा के संचालक प्रदीप जैन ने कहा कि हथकरघा कुटीर उद्योग के क्षेत्र में सागर देश में अलग स्थान बनाने जा रहा है। संगोष्ठी में रूबी दीदी ने कहा कि यदि पावरलूम पांच परिवारों को रोजगार देता है तो उतने उत्पादन के लिए हथकरघा सौ परिवारों को रोजगार देता है। संचालन डॉ. रेखा जैन ने एवं आभार ब्रह्मचारी सुनील भैया ने माना। इस माैके पर न्यायाधीश अरविंद जैन, एमके जैन , शुभम मोदी, जेलर मदन कमलेश, डिप्टी जेलर नागेंद्र चौधरी, महेश बिलहरा, प्रकाश बहेरिया, आनंद स्टील, वीरेंद्र मालथौन, डॉ. नीलम जैन अादि मौजूद थे।
भास्कर संवाददाता | सागर
पिछले दिनों से हथकड़ी से हथकरघा की ओर बढ़ रहे हाथों की चर्चा है। जिसका शंखनाद केंद्रीय जेल सागर से हुआ और पूरे देश को आकर्षित कर रहा है। युवा पीढ़ी को हस्तक्षेप की बजाय हस्तकला में निपुण बनना होगा। कभी-कभी अनावश्यक हस्तक्षेप हमें हथकड़ी पहनने पर मजबूर कर देता है। हथकरघा से बने वस्त्र पहनने से हम न्याय व शांति प्रिय बन जाते हैं। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में आयोजित राष्ट्रीय हथकरघा संगोष्ठी के समापन पर कही। उन्होंने कहा कि जब देश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी बोलने पर दंड दिया जाता हो तो हम नए भारत का निर्माण कैसे कर सकते हैं। इससे पहले संगोष्ठी के दूसरे दिन का शुभारंभ प्रदेश के पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने किया।
उन्होंने कहा कि शासन की पर्यटन बेवसाइट पर आचार्यश्री के प्रकल्पों मंदिर व हस्तकला केंद्रों को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। जहां-जहां आपके चरण पड़ते हैं, वहां हमेशा सकारात्मक परिवर्तन आ जाता है। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कहा कि हथकरघा के वस्त्र मंहगे हो सकते हैं लेकिन आपके स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं हैं । आदिवासी इलाकों में चल रहे चरखा प्रशिक्षण का कार्य देख रहीं नीरज दीदी ने कहा कि आचार्यश्री की भावना से 1999 में प्रतिभामंडल का उदय हुआ, जिसमें आज 300 बहने समर्पण भाव से कार्य कर रही हैं। रविशंकर वार्ड सागर में संचालित हथकरघा के संचालक प्रदीप जैन ने कहा कि हथकरघा कुटीर उद्योग के क्षेत्र में सागर देश में अलग स्थान बनाने जा रहा है। संगोष्ठी में रूबी दीदी ने कहा कि यदि पावरलूम पांच परिवारों को रोजगार देता है तो उतने उत्पादन के लिए हथकरघा सौ परिवारों को रोजगार देता है। संचालन डॉ. रेखा जैन ने एवं आभार ब्रह्मचारी सुनील भैया ने माना। इस माैके पर न्यायाधीश अरविंद जैन, एमके जैन , शुभम मोदी, जेलर मदन कमलेश, डिप्टी जेलर नागेंद्र चौधरी, महेश बिलहरा, प्रकाश बहेरिया, आनंद स्टील, वीरेंद्र मालथौन, डॉ. नीलम जैन अादि मौजूद थे।
केंद्रीय जेल में 108 हथकरघा से 1600 कैदी जुड़ेंगे राेजगार से, जेल से छूटने पर हर कैदी काे मिलेगा एक हथकरघा
सागर | केंद्रीय जेल सागर में हथकरघा केंद्र शुरू किए जाने के उपलक्ष्य में भाग्योदय तीर्थ में अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। समापन सत्र में देश के विभिन्न राज्यों से आए जेल अधिकारियों ने अपने-अपने यहां के अनुभव शेयर किए। केंद्रीय जेल सागर के जेल अधीक्षक राकेश बांगरे ने बताया कि सागर जेल में वर्तमान में करीब 1600 बंदी हैं। यह जेल में लग गए 108 हथकरघा के माध्यम से रोजगार से जुड़ेंगे। इतना ही नहीं अब यह भी निर्णय लिया गया है कि जो भी कैदी अपनी सजा पूरी होने के बाद रिहा होगा उसे एक हथकरघा दिया जाएगा। जिससे वह अपना और अपने परिवार का भरण-पाेषण कर सके। साथ ही वापस अपराध की दुनिया में कदम रखने के लिए भी विवश न होना पड़े। उन्होंने स्पष्ट किया कि हथकरघा केंद्र शुरू करने के पीछे जेल की कोई आय बढ़ाने का इरादा नही है। बल्कि कैदियों में श्रम की भावना पैदा कर आजीविका चलाने का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री की प्रेरणा और आशीर्वाद से सागर जेल का हथकरघा केंद्र प्रदेश ही नहीं देश में आर्दश का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि जेलों में हथकरघा और गौशाला का संचालन तो लगभग शुरुआती दौर से हो रहा है। सागर जेल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि 1843 मेें सागर की जेल बनी थी जो कि 1999 में केंद्रीय जेल के रूप में तबदील हुई। केंद्रीय जेल में वर्तमान 1600 बंदी हैं। जो कि सागर संभाग के तीन जिलों की 10 जेलों से आये है। सागर में मेरी पदस्थापना के बाद आचार्यश्री की प्रेरणा से 27 लूम शुरू किए थे। उस समय इनमें 50 आजीवन कारावासी ही इन हथकरघा को चला रहे थाे, अब सबकाे प्रशिक्षण देने का काम किया जाएगा। खजुराहो में हुई संगोष्ठी के बाद विशाल क्षेत्र में 108 हथकरघे दानदाताओं के सहयोग से शुरू किए गए हैं। जो कैदियों के जीवन में बदलाव में मील का पत्थर साबित होंगे। इस दौरान अन्य राज्यों के जेल अधिकारियों ने भी अपने यहां इसी पैटर्न पर काम करने की बात कही।
जेल अधीक्षक बोले- बंदियों में आ रहा है बदलाव, इधर लाेगाें ने लिया हथकरघा के वस्त्र पहनने का संकल्प
केंद्रीय जेल सागर के जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने जेल में हथकरघा की स्थापना व विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य महाराज की कृपा से जो सकारात्मक बदलाव हमारे बंदी भाईयों में आया है। उसे देखकर विभिन्न जेलों के अधिकारियों ने सराहा एवं अनुसरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सागर जेल में रात्रि भोजन का निषेध हो गया जिससे बंदियों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ रहा है। संगोष्ठी के प्रवक्ता वीरेंद्र मालथौन ने बताया कि जब सूती कपड़ों पर मटन येलो का घोल दिखाकर कपड़े को दिखाया तो अनेक लोगों ने हथकरघा वस्त्र पहनने का संकल्प लिया। रविवारीय सभा में आचार्य संघ की उपस्थिति में उपस्थित जन समुदाय ने पुलवामा में हुए शहीदों के सम्मान में दो मिनिट का मौन किया गया।
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