भावना पूरी हो चाहे नहीं पर इसे भाना श्रावक का काम है : विद्यासागरजी
भावना पूरी हो चाहे नहीं पर इसे भाना श्रावक का काम है : विद्यासागरजी
भाग्योदय तीर्थ में विराजमान संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भक्तों की भावना पूरी हो जाए जरूरी नहीं है लेकिन भावना भाना आपका कार्य है और आपकी भावना के लिए हमें लंबा प्रवास करना होगा। आचार्य श्री ने कहा कि रिद्धियों का उपयोग किया नहीं जाता है कुछ का होता भी है यह आगम के अनुकूल है रिद्धि का प्रयोग और भावना भाना अलग-अलग वस्तु होती है। यह प्रत्येक व्यक्ति के घर में आहार हो जाएं यह आप लोगों की भावना है कहीं अंतराय और तो कहीं निरंतराय आहार हो जाते हैं।
आचार्य श्री जी ने कहा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान को 6 माह तक आहार नहीं हुए थे उस समय उनके पिता राजा नाभि राय माता मरू देवी और ब्रह्मी सुंदरी आदि पड़गाहन में थे लेकिन राजा सोम को आहार देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वह भी 6 माह बाद हम तो फिर भी बड़े दयालु हैं हम तो नीचे देख कर पढ़गाहन में चलते हैं कभी-कभी आवाज से पहचान लेते हैं उन्होंने कहा की भगवान के भरोसे रहो आप तो मेरा तेरा सारा यहीं छूट जाएगा। आचार्य श्री की पूजन करने का सौभाग्य श्रावक श्रेष्ठियों को मिला इस अवसर पर निर्मल कुमार चक्रेश, राजेश,आशीष पटना परिवार ने एक बड़ी मूर्ति विराजमान कराने की घोषणा की जबकि सचिन जैन ने भी एक मूर्ति विराजमान कराने की घोषणा की। इस अवसर पर सर्वतो भद्र जिनालय की प्रमुख दृष्टि सुरेंद्र जैन मालथौन, सुजय जैन ने आचार्य श्री पास बैठकर आशीर्वाद लिया। इसके अलावा 151000 की राशि देने की लगभग 15 श्रद्धालुओं द्वारा घोषणा की गई।
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