नयनो को तृप्त करने वाले पलो को सँजोने का अवसर खुरई में
श्रमण संस्कृति के सर्वोच्च संत, जिनकी एक झलक पाने को स्वयं देवता भी आतुर रहते है और मनुष्यों की दीवानगी तो जग जाहिर है वे कही भी चले जाएं मेला लग जाता है निराट जंगल मे भी मंगल हो जाता है अकस्मात ही विहार करते हुए जब खुरई आये थे तो कहा किसी को पता था कि आचार्य विद्यासागर जी महामुनिराज के दर्शनों की आस लिये गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञान मति जी माता जी भी खुरई की ओर विहार कर सकती है
निर्दोष दिगम्बरत्व को अंगीकार करने वाले जिन्हें दुनिया आचार्य भगवंत कहती है जिन्होंने अब तक सैकड़ो दिगंबर मुनियों एवं आर्यिकाये की दीक्षा देकर उपकृत किया है
चूंकि आर्यिका माता श्री ज्ञानमति जी माता जी का मंगल विहार मांगीतुंगी से होकर बुंदेलखंड के रास्ते अयोध्या जी की ओर चल रहा है उनका विहार सागर होते हुये ललितपुर झांसी होते हुए आगे की ओर होना तय था किन्तु जब राहतगढ़ में समाजजनों ने जानकारी दी तो माता जी ने तत्काल ही अपनी राह खुरई की ओर मोड़ दी और आचार्य विद्यासागर जी के चरणों में संदेशा भी भेज दिया कि वे उनके दर्शनों को शीघ्रताशीघ्र पहुचने वाली है
आपको एक बात बतलाना बड़ी महत्वपूर्ण है कि जहां आचार्य गुरुवर का जन्म शरदपूर्णिमा के दिन हुआ था तो वही आर्यिका माता ज्ञानमति जी का जन्म भी शरदपूर्णिमा के दिन ही हुआ था
आज राहतगढ़ से विहारोपरांत परसो सुबह तक खुरई में पहुचने की संभावना है जिसकी सूचना समय समय पर आप सभी को दी जाएगी क्योंकि मौसम की अनुकूलता और मन की अधीरता में कब क्या हो जाये
श्रमणत्व की शान दिगम्बरत्व के धारक श्रेस्ठ संत आचार्य भगवंत सदा जयवंत हो
श्रीश ललितपुर
🔔🚩 पुण्योदय विद्यासंघ🚩🔔
4 Comments
Recommended Comments
Create an account or sign in to comment
You need to be a member in order to leave a comment
Create an account
Sign up for a new account in our community. It's easy!
Register a new accountSign in
Already have an account? Sign in here.
Sign In Now