डॉ कल्याण गंगवाल ने खजुराहो में लगाई बहुभाषी प्रदर्शनी
डॉ गंगवाल की खजुराहो में लगाई बहुभाषी प्रदर्शनी दे रही शाकाहार का संदेश, एक लाख को शाकाहारी बनाने पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज आचार्यश्री ने मुक्तकंठ से सराहा
छतरपुर अतिशय क्षेत्र खजुराहो में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा और आशीवार्द से डॉ कल्याण गंगवाल ने शाकाहार एवं अहिंसा पर केंद्रित एक बहुभाषी साहित्य एवं सामग्री की प्रेरक,ज्ञानवर्धक, धार्मिक ग्रंथों के संदर्भ सहित एक भव्य तथा आकर्षक प्रदर्शनी लगाई है। विगत दिनों इस प्रेरक प्रदर्शनी का अवलोकन पूज्य आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज एवं संघस्थ साधुओं ने सूक्ष्मता से किया और प्रदर्शनी के उद्देश्य एवं प्रयासों की मुक्तकंठ से सराहना न केवल प्रदर्शनी स्थल पर की,वरन अपने विशेष प्रवचन के दौरान भी डॉ गंगवाल के इस शाकाहार मिशन को सराहते हुए उन्हें मंच से मंगल आशीर्वाद भी दिया। इस अवसर पर डॉ गंगवाल ने अपने उद्बोधन में शाकाहार अभियान की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि वे अपने चिकित्सकीय प्रोफेशन से अर्जित आय से इस कार्य को विगत पंद्रह वर्षों से करते आरहे हैं।सामाजिक कार्यों को करने हेतु उन्होंने 1987 में सर्वजीव सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना की और उनके क्लिनिक में आने वाले तीस प्रतिशत गरीब मरीजों का वे निःशुल्क उपचार कर दवाएं देते हैं। शाकाहार, जीवदया, अहिंसा एवं व्यसनमुक्ति के मिशन के लिए समर्पित डॉ कल्याण गंगवाल अपनी इस प्रेरक,प्रभावी और वैज्ञानिक तथ्यों से परिपूर्ण प्रदर्शनी के जरिए अब तक कोई एक लाख से ज्यादा लोगों को शाकाहारी बना चुके हैं।
ये जानकारी देते हुए डॉ सुमति प्रकाश जैन ने बताया कि प्रदर्शनी में देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए हिंदी,इंग्लिश, फ़्रेंच, जर्मन, स्पैनिश,चायनीज,जापानी आदि ऐसी अनेक भाषाओं मे डॉ गंगवाल ने शाकाहार सम्बन्धी प्रचुर साहित्य तैयार कराया है जिसे वे देशी-विदेशी पर्यटकों को निःशुल्क भेंट कर शाकाहार और अहिंसा का शंखनाथ पूरे देश एवं दुनिया मे कर रहे हैं।अपनी शाकाहार पर केंद्रित पुस्तकों एवं अन्य साहित्य में डॉ गंगवाल ने जैन दर्शन के गूढ़ ग्रंथों मूलाचार,कार्तिकेयअनुपेक्ष, ज्ञानार्णव,तत्वार्थसूत्र,प्रवचनसार एवं समीक्षाशतक का अध्ययन कर इसमें वर्णित अहिंसा, जीवदया एवं शाकाहार संबंधी प्रसंगों का संदर्भ बखूबी दिया है,जिससे इनकी उपयोगिता तथा प्रमाणिकता और भी ज्यादा हो गई है।एक वरिष्ठ चिकित्सक होने के नाते डॉ गंगवाल ने अपने साहित्य में शाकाहार के वैज्ञानिक एवं मानवीय पक्ष को सुदृढ़ता के साथ प्रस्तुत करते हुए मनुष्यों के लिए शाकाहार को ही हर दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ आहार बताया है।
ज्ञातव्य है कि एमबीबीएस, एमडी मेडिसिन जैसी उच्चशिक्षा गोल्ड मैडल के साथ प्राप्त करने वाले डॉ गंगवाल पुणे के केईएम हॉस्पिटल में कंसल्टेंट एवं प्रोफेसर रहते हुए अपने अतिव्यस्त समय लेकिन व्यवस्थित दिनचर्या से इस शाकाहार अभियान के लिए समय औऱ धन का सदुपयोग करते रहते हैं। डॉक्टरों द्वारा किए जाने वाले अनएथिकल ट्रीटमेंट के विरोधी एवं नब्बे के दशक में देश मे पहला गुटखा विरोधी मूवमेंट शरू कर महाराष्ट्र में गुटखा बेन कराने वाले डॉ गंगवाल के इन भागीरथी और अथक प्रयासों का सार्थक नतीजा भी निकला। शिर्डी के समीप कोपरगाँव में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर कोकमठाण स्थित जंगलीमहाराज आश्रम में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में डॉ गंगवाल की प्रेरणा और समझाइश से करीब एक लाख लोगों ने एक साथ मांसाहार एवं व्यसन त्याग कर शाकाहार अपनाने का सामूहिक संकल्प लिया था।हाल ही मैं डॉ गंगवाल की इस उपलब्धि पर मौके पर मौजूद चालीस सदस्यीय टीम ने उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज करते हुए उन्हें सम्मान दिया गया है।
सोशल वर्क एवं मेडिकल प्रेक्टिस के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 132 राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे जा चुके 73 वर्षीय डॉ गंगवाल द्वारा अतिशय क्षेत्र खजुराहो के मंदिर परिसर में लगाई गई इस उपयोगी प्रदर्शनी को आचार्यश्री के दर्शन करने देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु एवं क्षेत्रीय जैनेतर समाज के लोग भी प्रतिदिन बड़े चाव से बड़ी संख्या में देख और सराह रहे हैं।
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