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आहारचर्या शुभ संदेश 28/08/18


Ankush jain sagar

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*??भारत बोलो आंदोलन??
  *‼आहारचर्या‼*
    *खजुराहो*
  _दिनाँक :२८/०८/१८  *आगम की पर्याय महाश्रमण युगशिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज* को आहार दान का सौभाग्य *श्रीमान   शिखर चंद जी जैन पूर्व अध्यक्ष खजुराहो दिगंबर जैन मंदिर छतरपुर उनके परिवार वालो* को प्राप्त हुआ है।_
इनके पूण्य की अनुमोदना करते है।
            ????
*भक्त के घर भगवान आ गये*

*_सूचना प्रदाता-:श्री शांत जी जैन एवं श्री अंकित जी जैन खजुराहो_*
       ???
*अंकुश जैन बहेरिया
*प्रशांत जैन सानोधा

2 Comments


Recommended Comments

गलती हमारी यही 
नहीं चलना चाहते सड़क के अनुसार 
चलते अपनी मर्जी से 
चलाना चाहते सड़क पर खुद को  
अपने अनुसार 
फिर एक्सीडेंट तो होगा ही ...
घट जाती जब जीवन में अपने 
कोई घटना अनचाही 
दोष देते कर्मो को 
अथवा मंढ देते दोष औरों पे 
स्वयं को पाक-साफ़ दिखा के 
नहीं होता उससे  
समस्या का समाधान 
उलटी बढ़ती जाती तकलीफे 
जिससे जीवन में ....
सोचो ! विचारो !
कभी एकांत में 
परंपरा को निभाना ही होता 
कर्त्तव्य व्यक्ति का 
जो निभाता जाता कुल परंपरा 
नहीं उसके जीवन में 
आता / लगता ऐसा धोखा ....
परंपरा तोड़ के 
जो चाहता दौड़ना 
समय की रेस के साथ में 
गिर जाता वो बीच में 
सौ में से एक / हज़ारो-लाखों में एक 
होता सफल इस तरह से 
सब उसी का अनुकरण करना चाहते 
भूलकर अपनी क्षमता / दक्षता 
क्या हर कोई बंबई जाने वाला 
बन पाया है हीरो अपने दम पे ?
विचारो स्वयं की परंपरा 
स्वयं का दायरा 
स्वयं  की क्षमता 
उसी के अनुसार जगाओ उम्मीदें 
अपने मन में 
मिलेगी सफलता तुम्हे 
नहीं लगेगा कभी 
रह गए तुम पीछे 
नहीं आओगे कभी डिप्रेशन में 
असफल होने पे 
क्योंकि !
जुड़े हो तुम कुल परंपरा से ....
आज इतना ही 
जय जिनेन्द्र !
अनिल जैन "राजधानी"
श्रुत संवर्धक 
२८.८.२०१८ 
संसार दुखों से है भरा 
क्षणिक सुखाभास को पाने में 
चलता रहता प्रपंच हमारा 
कैसे मिले दुखो से छुटकारा ?
अथवा कैसे होवे 
एहसास कम उसका ? 
बता दो कोई सरल सी विधि जीने की ...
सरलतम विधि बस, 
जैसे संयोग मिलते जाए / बन जाए 
कर लो स्वीकार उन्हें 
कर लो उनके अनुसार 
प्रवृत्ति अपनी 
दुखो का कम हो जायेगा पिटारा 
यही है सबसे सरल सहारा ...
अथवा 
जुड़ जाओ धर्म से 
घटाकर व्यव्हार अपना जगत से 
बढ़ जाओ अध्यात्म मार्ग में 
मिल सकता इस प्रकार 
दुखो से भी छुटकारा ....
1 minute ago, anil jain "rajdhani" said:

bahut bahut anumodna, badhaai 

 

 

प्रणाम !
अनिल जैन "राजधानी"
श्रुत संवर्धक 
हो जायेगा कम 
एहसास दुखों का 
अध्यात्म में बढ़ने पर 
मिल सकता शास्वत सुख का भी 
आभास तुम्हे ...
जैसी लगे सुविधा 
कर लो स्वीकार उस मार्ग को २८.८.२०१८ 
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