Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • entries
    514
  • comments
    152
  • views
    28,073

Contributors to this blog

टिमटिमाते - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ५२


संयम स्वर्ण महोत्सव

986 views

haiku (52).jpg

 

 

टिमटिमाते,

दीप को भी पीठ दे,

भागती रात ।

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

1 Comment


Recommended Comments

टिमटिमाते दीप को भी पीठ दिखाना रात्रि के लिये क्यो है मुश्किल क्या एक ऐसा दिया जो बुझने की और अग्रसर है उससे रात्रि सामना नही कर पाती है और भागने के लिये मजबुर हो गई है या यु कहे कि स्वयं को विपरित परिस्थितयो मे भी संभाले रखने के दृड इरादो और बुलन्द हौंसलो की वजह से ही नकरात्मक उर्जा से भरी स्याह रात्रि जिसके पास देने के लिये भय और अन्धकार के अलावा और कुछ नही  होता एक छोटे से दिये के प्रकाश फेलाने के उसके मजबुत इरादो के सामने हार मान लेती है। ये सच है कि पाप का अन्धकार कितना भी घना क्यु न हो परन्तु धर्म के उजाले के समक्ष कभी टिक नही सकता है। अन्यथा इतनी बडी आबादी को आटे में नमक के समान मुनिराज की संख्या ही बहुत अच्छे से सम्भाल रही है।

Link to comment

Create an account or sign in to comment

You need to be a member in order to leave a comment

Create an account

Sign up for a new account in our community. It's easy!

Register a new account

Sign in

Already have an account? Sign in here.

Sign In Now
  • बने सदस्य वेबसाइट के

    इस वेबसाइट के निशुल्क सदस्य आप गूगल, फेसबुक से लॉग इन कर बन सकते हैं 

    आचार्य श्री विद्यासागर मोबाइल एप्प डाउनलोड करें |

    डाउनलोड करने ले लिए यह लिंक खोले https://vidyasagar.guru/app/ 

     

     

×
×
  • Create New...