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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रवचन संकलन

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अनुराग को भक्ति कहते हैं !

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की जो तप में अधिक है उनमे और तप में भक्ति और जो अपने से तप में हीन है उनका अपरिभव यह श्रुत के अनुसार आचरण करने वाले साधू की तप विनय है ! मुख की प्रसन्नता से प्रकट होने वाले आंतरिक अनुराग को भक्ति कहते हैं ! जो तप में न्यून है उनका तिरस्कार नहीं करना ! देखने से भगवान् नहीं दीखते आँखे बंद करलो तो दिख जायेंगे रूचि होना चाहिए तभी  दीखते हैं  भगवान्  ! गुरु आदि के प्रवेश करने पर या बाहर जाने पर खड़े होना, व

शरीर दुःख का कारण है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की आत्मा और शरीर के प्रदेश परस्पर मिलने से आयु कर्म के कारण यद्यपि शरीर ठहरा रहता है तथापि शरीर सात धातु रूप होने से अपवित्र है, अनित्य है, नष्ट होने वाला है, दुःख से धारण करने योग्य है, असार है, दुःख का कारण है, इत्यादि दोषों को जानकार “न यह मेरा है न मैं इसका हूँ” ऐसा संकल्प करने वाले के शरीर में आदर का अभाव होने से काय का त्याग घटित होता ही है ! शरीर के विनाश के कारण उपस्थित होने पर भी कायोत्सर्ग करन

भारत में संस्कृति का पतन हो रहा है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्मसभा को सम्भोधित करते हुए दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की दादी माँ ने कहानी कही छोटी – छोटी पर कहानी कहीं लिखी नहीं है ! कुछ युवा बालक उसे समझने का प्रयास करें ऐसी ही जिनवाणी की कहानी है ! उसे समझने का प्रयास करें ! “मन के जीते जीत है और मन के हारे हार है ” याने मन के अन्दर पावर है ! हमारी उर्जा बाहर लग रही है उसे भीतर लगाये ! आज मंत्र का नहीं यन्त्र का उपयोग हो रहा है ! भोतिक विज्ञान से ज्यादा आत्मिक विज्ञान जरुरी है ! शोध करने व

दंड से उदंडता ठीक होती है ! 

चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की दंड के माध्यम से उदंडता ठीक हो जाती है ! शुद्धी के प्रावधान हैं प्रतिक्रमण आलोचना ! जो क्षेत्र संयम को हानि पहुचाते हैं अथवा संक्लेश उत्पन्न करते हैं उसका त्याग क्षेत्र प्रत्याख्यान कहलाता है ! घर में महिलाओं के लिए निर्वाह करना पड़ता है कर्त्तव्य निभाने पड़ते हैं ! अपने द्वारा पहले किये गए हिंसा आदि को “हां मैने बुरा किया, हां मैने बुरा संकल्प किया, हिंसा आदि में प्रवर्तन वाला वचन बोला” इस प्र

आप क्वांटिटी नहीं क्वालिटी देखें !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की इस चातुर्मास की स्थापना का समर्थन इन्द्र भी कर रहे हैं जब वर्षा के साथ यदि धर्म वर्षा भी हो जाए तो ये अच्छा रहेगा ! मुनिराज अहिंसा धर्म के पालन एवं जीव रक्षा के लिए करते हैं चातुर्मास ! आज हम वनों में नहीं रह पाते हैं तो यहाँ स्थापना करना पड़ रहा है ! हमारी स्थापना तो 2 जुलाई 2012 को हो गयी थी श्रावको ने आज कलश स्थापना की है ! आज हमें जल छानने के संस्कार देने चाहिए ! रस्सी , कलशा, छन्ना हमेशा बाहर जाते समय साथ म

जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण करना है !

वीर शासन जयंती एवं प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए ! चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की प्रतिभा स्थली के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए शीत, हवा, पौधे, आदि के रूप में मुखोटा लगाकर कार्यक्रम प्रस्तुत किया ! “मै राष्ट्रीय पशु न सही लेकिन राष्ट्रीय संत की गाये हूँ” “बच्चों ने कहा की आचार्य श्री कहते हैं की मंदिर में लगने वाले पत्थर की चीप बनो चिप नहीं चीफ (मुख्य) है ! प्रतिभा स्थली में

छात्र – छात्राओं को विशेष प्रवचन संसार में सबसे बड़ी बीमारी तनाव है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की प्रतिभा स्थली में शिक्षिकाओं को संख्या ज्यादा और छात्राओं की संख्या कम है आप लोग संख्या बढाएं खर्चा ज्यादा हो और काम कम यह ठीक नहीं है ! किसका मन प्रतिभा स्थली में नहीं लग रहा है हाँथ उठायें ! जिनका मन नहीं लग रहा उनका सहयोग करें जिनका मन लग रहा है ! आचार्य श्री ने बच्चों से चर्चा भी की ! जिस प्रकार सब विषयों में नंबर मिलते हैं वैसे ही खेल कूद में भी नंबर आना चाहिए ! सब लोगों की पढाई ठीक चल रही है ? सब पढ़ाते ठी

गुरु पूर्णिमा पर विशेष प्रवचन भगवान् का पता देते हैं गुरु !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की यह गुरु पूर्णिमा पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है ! आज के गुरु बनाते है लोग और दर्शन करने आते हैं ! पूर्ण चन्द्रमा का दर्शन पूर्णिमा के दिन होता है ! चन्द्रमा पूर्ण कलाएं बिखेरता है ! इस तिथि का विशेष महत्व है ! इस दिन गुरु को शिष्य और शिष्य को गुरु मिले थे ! वीर भगवान् की दिव्य ध्वनि 66 दिन तक नहीं खीरी थी फिर वीर शासन जयंती के दिन खीरी थी, उसी दिन से वीर शासन प्रारंभ हुआ, वीर भगवान् का शासन प्रारंभ हुआ ! कुछ स

भगवान की मुद्रा प्रसन्न है  ! 

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की उपवास करते समय मन आकुल – व्याकुल नहीं होना तप है ! भूख  – प्यास की वेदना से आकुल – व्याकुल नहीं होना चाहिए ! रस को त्यागने से शरीर में उत्पन्न हुए संताप को सहना तप है ! मनुष्यों से शून्य स्थान (जंगल आदि) में निवास करते हुए पिशाच, सर्प , मृग, सिह, आदि को देखने से उत्पन्न हुए भय को रोकना तथा परिषय को जीतना चाहिए ! प्रायश्चित करने से उत्पन्न हुए श्रम से मन में संक्लेश न करना “यह जगत जीवों से भरा है

भाव को नहीं छोड़े !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने दीक्षा दिवस के अवसर पर धर्म सभा को सम्भोधित करते हुए कहा की आज रविवार है और भी कुछ है (दीक्षा दिवस ) लेकिन अतीत की स्मृति के लिए आचार्य कुंद – कुंद कहते हैं की याद रखना है तोह दीक्षा तिथि को याद रखो जिस समय दीक्षा ली थी उस समय क्या भाव थे उन्ही को याद करो ! काल निकल जाता है पर स्मृति के द्वारा ताज़ा बनाया जा सकता है ! उस समय की अनुभूति और अभी की अनुभूति में अंतर दीखता है ! हमारे भाव कितने वजनदार हैं देखना ह

मधुर वचन होते हैं प्रभु के !

चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बराचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज धर्म सभा को सम्भोधित करते  हुए कहा की  आज रविवार है, रवि तो प्रतिदिन आता है और जाता है ! आचार्य श्री ने गजकुमार का दृष्ठांत देते हुए वैराग्य मय दास्ता सुनाई भगवान् नेमिनाथ के प्रसंग  भी   सुनाये  और  कहा  मधुर  वचन  होते  हैं प्रभु के ! कीचड़ में पैर रखकर पानी से धोने की अपेक्षा कीचड़ से बचकर पैर रखना ठीक है ! अज्ञानी हो तो ठीक है पर ज्ञानी होने पर भी यदि पैर रखे तो ठीक नहीं ! कषायों का कीचड़ उछलता है

सोचना भी भटकन है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में आयोजित प्रवचन सभा को सम्भोधित करते हुए दिगम्बराचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की जब उपसर्ग आता है तो साधू जब ताल नहीं पाते तब संलेखना ले लेते हैं ! भयंकर दुर्भिक्ष हो, भयंकर जंगल में भटक गया हो तो भी संलेखना लेते हैं ! चाहे विज्ञान हो चाहे वीतराग विज्ञान हो दोनों ही बताते हैं की गलत आहार भी प्राणों को संकट पैदा करता है ! दुर्भिक्ष पड़ने पर साधू आहार का त्याग कर देते हैं ! जो ज्यादा सोचता  है वह जंगल में भटक जाता है, आज विज्ञान भी भटक रहा है ! वर्मुला ट्रग

मातृभाषा भाव तक पहुचने में सहायक है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्म सभा जो श्रुत पंचमी पर आयोजित थी इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी ने कहा शरीर का नहीं आत्मा का विकास होना चाहिए ! यहाँ कुछ लोग राजस्थान से आयें है लेकिन प्रायः बुंदेलखंड के हैं ! प्रायः पैसा बढता है तो गर्मी चढ़ जाती है ! हर व्यक्ति की गति प्रगति इस बुद्धि को लेकर नहीं होती ! कुछ लोग चोटी के विद्वान् होते हैं जैसे ललितपुर में एक व्यक्ति चोटी रखता है ! ज्ञान के विकास का नाम ही मुक्ति है ! ज्ञान का विकास जन्म से नहीं मृत्यु से होता है ! अभी आप मरना नह

प्रबंधन अर्थात् मैनेजमेंट महत्वपूर्ण है……!

चंद्रगिरि, डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) में आयोजित आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का समाधि दिवस ! ग्रीष्मकालीन ज्यों ही आता है गुरूजी की पुण्य तिथि आ जाती है पिछली बार भी यह अवसर चंद्रगिरि को मिला था इस बार भी मिला है ! तीर्थंकरों के कल्याणक तोह हम मनाते ही है लेकिन पुण्य तिथि मनाने का अलग ही महत्व है ! गुरु उन्नत होते भी उन्नत बनाने में लगाए रखते है! सिद्धि में गुरुओं की बात कई विशेषणों में कई है ! परहित संपादन विशेषण बहुत महत्वपूर्ण दिया है ! प्रायः व्यवस्ताओं के सही नहीं होने के कारण गाड़ियाँ रुक ज

अहिंसा की पूजा करो

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में रविवारीय प्रवचन में आचर्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा की भावों के ऊपर धर्म है भावों के उपन अधर्म है भाव से ही सब कुछ होता है ! आचर्य श्री विद्यासागर जी ने राघव मच्छ के कान में तदुले मच्छ रहता है उसका द्रिस्तान्थ दिया और कहा की आचार्य ज्ञानसागर जी ने बनारस में गम्हा बेचकर बड़े – बड़े शास्त्रों की रचना की हैं ! जीवन को उन्नत बनाने के लिए शिक्षा की आवशयकता है ! आज लड़कियां सेरविसे करने जाती है और घर पर दिन में ताला लगा रहता है और रात्रि में अन्दर से ताला लगे रहता

शिकायत जरुरी है !

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ तीर्थ पर विराजमान दिगम्बराचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की रामचंद्र जी को भी कर्म का उदय आता है जब लक्ष्मण जी को जब मूर्च्छा आई थी यह दृष्ठांत आचार्य श्री ने बताया ! आचार्य श्री ने कहा की लोग हमसे शिकायत करते हैं की हमारे यहाँ नहीं आतें हैं (ललितपुर वालों की ओर इशारा करते हुए) आचार्य श्री ने कहा की हमने वाचना की है ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन, महावीर जयंती, अक्षय तृतीया आदि पर्व मनाएं हैं फिर भी लोग कह रहें है की आते नहीं हैं ! पुण्य को गाढ़ा करें अभी पतला है ऐसी र

भाव के द्वारा निवेश होता है

चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ तीर्थ चेत्र पर विराजमान दिगम्बराचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की कोई भी कार्य हाँथ में लो उसे पूर्ण करो ! उस दाता की जब तक प्रसंशा नहीं करो जब तक वह भोजन पच नहीं जाए ! नारी की जब तक प्रशंसा नहीं करो जब तक वह बूढी नहीं हो जाए ! राजा की जब तक प्रसंशा नहीं करो जब तक वह यशस्वी नहीं हो जाए ! साधू की जब तक प्रशंसा नहीं करो जब तक वह पार नहीं हो जाए अर्थात संलेखना नहीं हो जायें! जहाज में रत्ना भरकर लायें और किनारे पर डूब जायें ऐसे ही व्यक्ति के साथ होता है ! एक बार
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