Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • entries
    14
  • comments
    20
  • views
    2,825

Contributors to this blog

About this blog

Editorials on Acharya shri Vidyasagar Ji maharaj 

 

Entries in this blog

किसी को भी जेल जाने के पहले कभी इतना आतुर नहीं देखा

प्रसंग – ०५/०२/२०१९ को भाग्योदय से केन्द्रीय जेल की ओर विहार और जेल में चल रहे वृहद् हथकरघा केंद्र का निरिक्षण ।     ⛳ सबकी धड़कने बढ़ गयी जब हमारे अनियत विहारी गुरुदेव ससंघ अचानक ही संत भवन से निकले ... सब के मन में कौतुहल कि क्या हो रहा है ... पहले लगा शायद अस्पताल के निरीक्षण के लिए जा रहे हैं लेकिन जब भाग्योदय के प्रमुख प्रवेश द्वार के बाहर निकले तो सबकी दृदय गति में अचानक ही तेज़ संचार हो गया ... किसी को कुछ नहीं पता .... सारे शहर में ये खबर आग की तरह फैल गयी कि गुरूजी का भाग्यो

Vidyasagar.Guru

Vidyasagar.Guru

वज्र पाषाण हृदयी,  निर्मोही, निर्दयी, निष्ठुर, निर्मम, आचार्यश्री......

वज्र पाषाण हृदयी,  निर्मोही, निर्दयी, निष्ठुर, निर्मम, आचार्यश्री...... प्राणिमात्र के हितंकर, दयावन्त, श्रमणेश्वर,साक्षात समयसार, मूलाचार के प्रतिबिम्ब समस्त चर ,अचरो के प्रति आपकी दया, करुणा,  हम मानवों में ही नही स्वर्गों के इंद्रो देवताओं में भी जगजाहिर है आप अनुकम्पा के विशाल महासागर अथवा चारित्र के उत्तुंग हिमालय जाने जाते हो ऐसे में उपरोक्त शीर्षक में आपके प्रति कठोर सम्बोधन लिखते समय मेरी उंगलियां कांप रही है लेकिन मैं क्या करूं जो है, सो है...... मेरे आपके हम सबके सामने है। भ

*_अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आचार्यश्री के हृदयस्पर्शी, ऐतिहासिक प्रवचन_*

_21 फरवरी को इंदौर में *अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस* पर *परमपूज्य आचार्यश्री ससंघ के सानिध्य* में विशेष आयोजन हुआ इस आयोजन में *अनेकों विख्यात शिक्षाविद, हजारों की संख्या में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के तीन सौ से अधिक विद्यालय के जैन अजैन  संस्थापको, प्राचायो, विशिष्ट शिक्षकों* ने भाग लिया_ _इस अवसर पर *आचार्यश्री ने कहा कि हमारी मातृभाषा हमारी सम्वेदनाओं का माध्यम* है।_ _*आचार्यश्री ने अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल नामक पुस्तक* का कई बार उल्लेख किया एवम इसे *सभी जनों को पढ़ने का संकेत* भी क

श्रमणेश आचार्यश्री के चरण कहां थमेंगे चातुर्मास में....???

यूं तो जब जब आचार्यश्री के पावन चरण चलायमान होते है अधिकांश तीर्थो, समाजों, गुरुभक्तों की धड़कनें बढ़ जाती है अमरकंटक में जन्मी मेकल कन्या कही जाने वाली नर्मदा रेवा नदी की अविरल धारा और गुरुचरणों की दिशायें सदा एक सी रही है। फिर चाहे अमरकंटक हो जबलपुर या नर्मदा का नाभिकेंद्र  नेमावर ही क्यों न हो वही आचार्यश्रेष्ठ के सानिध्य में बहुत कुछ पाने वाले सागर का भी अपना गौरवशाली इतिहास है        सन 1980 के पूर्वतक तक हम जैसे साधारण श्रावकों की छोड़ो बड़े बड़े पण्डित विद्वान भ

नयनो को तृप्त करने वाले पलो को सँजोने का अवसर खुरई में

श्रमण संस्कृति के सर्वोच्च संत, जिनकी एक झलक पाने को स्वयं देवता भी आतुर रहते है और मनुष्यों की दीवानगी तो जग जाहिर है वे कही भी चले जाएं मेला लग जाता है निराट जंगल मे भी मंगल हो जाता है अकस्मात ही विहार करते हुए जब खुरई आये थे तो कहा किसी को पता था कि आचार्य विद्यासागर जी महामुनिराज के दर्शनों की आस लिये गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञान मति जी माता जी भी खुरई की ओर विहार कर सकती है                 निर्दोष दिगम्बरत्व को अंगीकार करने वाले जिन्हें दुनिया आचार्य भगवंत कहती है जिन्होंने अब तक सैकड़ो

shrish singhai

shrish singhai

मिलकर वृक्ष लगाये हम (7 जुलाई 2019 - आचार्य श्री विद्यासागर दीक्षा दिवस विशेष )

जब हम किसी बात की चिंता करते है तो वह हमारे स्वार्थ से जुड़ी होती है और उसकी सिद्धि केवल और केवल हमारे फायदे को प्रदर्शित करती है जबकि देश के प्रधान पद पर आसीन किसी नेता द्वारा चिंता करना देश हित की ओर इशारा करता है वही किसी संत के द्वारा चिंता की जाए तो वह सर्वव्यापी अथार्त जगत के फायदे के लिये होती है                    उदाहरण के लिये हम अपने घरों में बृक्ष लगाते है तो उसका फायदा मात्र हमे होता है लेकिन सड़क किनारे दोनों ओर प्रधानमंत्री योजनाओं से लगाये जाने वाले बृक्षो

shrish singhai

shrish singhai

खुरई के सौभाग्य दर्शन

*आज जिनवाणी चैनल के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व के लोगो ने मध्यान्ह में जिस सौभाग्य दर्शन को देखा उसे देखकर तो ह्रदय गद गद हुए बगैर नही रहा होगा क्योंकि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों मे बैठते ही आर्यिका श्री ज्ञानमति जी भावुक मुद्रा में दिखाई दे रही थी लगता था जैसे अभी अभी आखों से अनमोल मोती लुढ़क कर गुरु चरणों मे जाने ही वाले है क्योंकि महाव्रती होने के कारण पराया तो कुछ समर्पित करने था नही सो भावो की अनुमोदना ही उनके पास स्वयं की द्रव्य थी* _आचार्य महाराज खुले आसमान में एक तख़्त पर विरा

shrish singhai

shrish singhai

संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के जन्मोत्सव पर विशेष आलेख ******** विद्याधर में समाया था पूरा विद्यासागर:ब्र.त्रिलोक जी ******/

जो पूर्णमासी को उदित हुआ , वह पूर्णकाम बन जाएगा / जो आज पूज्य है विद्या गुरुवर , त्रिलोक तिलक बन जाएगा//  धर्म मित्रों इतिहास कहता है आज शरद पूर्णिमा के पावन दिन धर्म श्राविका माँ श्रीमंती की पावन कोख से  श्रावक शिरोमणि पिता मल्लप्पा जी के संस्कार बान घर आंगन में ,दिव्य बालक विद्याधर का जन्म हुआ था / कौन जानता था ,जो आज बालक है ,कल धर्म का पालक बनेगा/ कौन जानता था, जो आज मिथ्यात्व के अंधेरें में जन्मा है, कल सम्यक्त्व का सवेरा और धर्म का उजेरा करेगा / कौन जानता था ,जो आज बूंद की तरह जन्मा

Vidyasagar.Guru

Vidyasagar.Guru

कुछ "बड़ा " होने की सुगबुगाहट या फिर अटकलें....... 

कुछ "बड़ा " होने की सुगबुगाहट या फिर अटकलें.......  विगत दिनों हमारे यहां पुलवामा में  हुई अमानवीय आतंकी घटना की प्रतिक्रिया की आशंकाओं को देखते हुए विश्व की नज़र भारत की ओर लगी है शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के मुखिया ट्रम्प भी कह चुके कि कुछ बड़ा होने जा रहा है। इन दिनों  सुख चैन सरिता तट पर अवस्थित अतिशयक्षेत्र बीना बारह में श्रमणोत्तम आचार्यश्री ससंघ विराजित है कुछ दिनों से इसी दिशा में पूज्यवर मुनिराजों सहित वन्दनीया आर्यिका संघो के सतत अनवरत सरितावत प्रवाहमान विहार आगामी दिनों में इस अत

जिसका हमे था इंतजार वो घड़ी आ गई आंवा में

*जिसका हमे था इंतजार वो घड़ी आ गई* 🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷🎷 *लाखो दिलो पर राज करने वाले ,तपश्चर्या के शिखर पर विराजमान साधु परमेष्टि में श्रेस्ठ जगत पूज्य मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज का चतुर्माश सुदर्शनोदय तीर्थ आंवा जी मे सानंद सम्पन्न हुआ विगत कुछ वर्षों पूर्व जहाँ जिनमंदिर के नाम पर मात्र एक खंडहरनुमा जिनालय हुआ करता था आज उसी स्थान पर विश्व स्तर का एक तीर्थ निर्माणाधीन है जिसकी प्रेरणा और आशीर्वाद मुनि श्री सुधासागर जी के द्वारा ही हुआ*   _चतुर्माश के मध्यान्ह में पर्युषण पर्व की वेला

shrish singhai

shrish singhai

आचार्य दर्शन की लालसा

*आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने की अभिलाषा केवल श्रावको को ही नही होती बल्कि श्रमण परंपरा को जीवंत करने वाले आचार्य कुंद कुंद की परंपरा के सभी साधक जो इस धरती पर विहार कर रहे है वे सौभाग्य मानते है कि वर्तमान के वर्धमान आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दर्शन भगवान महावीर के शासन काल मे हो रहे है*   _अभी कल की ही बात है पूज्य आर्यिका ज्ञानमति जी माता जी जब मांगीतुंगी से विहार करते हुए अयोध्या की ओर जा रही थी तब राहतगढ़ में पता लगा कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज पास ही खुरई में व

shrish singhai

shrish singhai

कठिन परीक्षा और मोक्षपथ के कठोर परीक्षक...…..

कठिन परीक्षा और मोक्षपथ  के कठोर परीक्षक...…..   कड़कड़ाती, कम्पकपाती, सुई सी चुभोने वाली तुषार सी बर्फीली हवाओ की सहेली   महारानी "ठंड"  महादेवी  जो हिमालय से उतर कर कुछ गिने चुने दिनो के लिए अपने मायके उत्तर भारत में आई  है आरम्भ के कुछ दिनों  में तो  बड़ी संस्कारी आज्ञाकारी नई बहु सी लगती है लेकिन कुछ ही दिनों में अपने तेवर दिखाते  दुर्दान्त आतंकवादी सी लगने लगती है यहां तक इसके रौब ख़ौफ़ देख बेचारे सूरजदादा भी से डरे सहमे से एक कोने में दुबके रहते है। कल जब आधी रात में मेरी नींद खुली

आज पुराना साल जा रहा है तो क्या हिंदी तिथि से- नही बल्कि पश्चिमी कलेंडर की तारीख से पुराना वर्ष विदाई ले रहा है

आज पुराना साल जा रहा है तो क्या हिंदी तिथि से- नही बल्कि पश्चिमी कलेंडर की तारीख से पुराना वर्ष विदाई ले रहा है और कल नया वर्ष आ रहा है लोग धडाधड एक दूसरे को बधाई दिये जा रहे है क्योंकि उन्हें भी कुछ हद तक हवा लगी हुई है और उसका बिशेष कारण है हमारे देश में भारतीय परंपराओ का संचालन करने वाली गुरुकुल पद्वति की पढ़ाई अब कान्वेंट की कोएडुकेशन ने जो ले ली है                     हमारे मंदिरों में पढ़ाई जाने वाली शिक्षाएं भी जिन्हें पाठशाला के रूप में सुबह शाम संचालित किया जाता था अब नए जमाने के रंग मे

shrish singhai

shrish singhai

×
×
  • Create New...