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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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आचार्य श्री विद्यासागर जी महराज से सम्बन्धित नवीनतम समाचार.

published news updates about Acharyashri Vidyasgar Ji Maharaj, प्रेस विज्ञप्ति /Press Release related to Acharya Vidyasagar Ji maharaj 

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सोया नहीं करो, जागृत रहा करो ढंग बदलो, इससे सब कुछ बदल जाता है: आचार्यश्री

सोया नहीं करो, जागृत रहा करो ढंग बदलो, इससे सब कुछ बदल जाता है: आचार्यश्री     आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में शुक्रवार काे धर्म सभा में कहा कि जीवन में ढंग बदल लो, ढंग बदलने से सब कुछ बदल जाता है यह चेतन का परिणाम है पर इसे आप जड़ मानते हो इसी कारण हम जड़ यानी अज्ञानी हो गए हैं ।  आचार्य श्री ने कहा एक मणि होती है जिसके प्रभाव क्या होते हैं अगर प्रकाश नहीं भी हो तो वह चारों ओर प्रकाशित करती है। चंद्रमा जब आकाश में आता है तो उसका प्रकाश फैलता है चंद्रमा

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हमें वस्तु स्थिति को स्वीकार करना चाहिए, इससे लोगों का भ्रम दूर हो जाता है. आचार्य विद्यासागर

हमें वस्तु स्थिति को स्वीकार करना चाहिए, इससे लोगों का भ्रम दूर हो जाता है. आचार्य विद्यासागर आप लोगों को कुछ बातों के ऊपर विश्वास नहीं होता है, अथवा समझ में नहीं आता है। कार्य देखकर कहने लगते हो कि देव चमत्कार है या कोई जादू टोना है या फिर शंका होने लगती है हमें वस्तुस्थिति को स्वीकार करना चाहिए उसे दृढ़ श्रद्धान करके अपना लेना चाहिए वस्तुस्थिति की जानकारी होने पर लोगों का भ्रम दूर हो जाता है। यह बात भाग्याेदय में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने गुरुवार काे धर्म सभा में कही। आचार्

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हथकरघा पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी 16,17 फरवरी काे भाग्योदय तीर्थ में, देश के कई राज्यों के जेल अधिकारी आएंगे

हथकरघा पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी 16,17 फरवरी काे भाग्योदय तीर्थ में, देश के कई राज्यों के जेल अधिकारी आएंगे   आचार्य विद्यासागर महाराज की स्वर्णिम योजना हथकरघा एक सामाजिक क्रांति को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने अाैर जेल में रह रहे कैदियों के पुनर्वास के लिए भाग्योदय तीर्थ में आचार्य संघ के सानिध्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का 16 अाैर 17 फ़रवरी को आयोजित की जाएगी। कार्यक्रम प्रभारी ब्रम्हचारी डॉ. रेखा जैन, प्रवक्ता वीरेन्द्र मालथौन ने बताया कि संगोष्ठी में दिल्ली, हरियाणा ,

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पूजन हमेशा सावधान और मन लगाकर करना चाहिए - आचार्य श्री

संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय परिसर में आयोजित धर्मसभा में कहा कि पूजा कैसे की जाती है। जिस समय जो अर्घ चढ़ाना चाहिए वह चढ़ाएं, इससे कर्मों की निर्जरा होती है। पूजन करते समय हमेशा सावधानी बरतना चाहिए और चावल का एक कण भी नीचे नहीं गिरना चाहिए।   आचार्य श्री ने कहा भक्ति कैसे करना है पूजन कैसे करना है यह आपको मन लगाकर करना चाहिए। पूजन करना आपको अच्छे तरीके से सीखना पड़ेगा। अर्घ चढ़ाते हैं और बिखराते हैं गली गली, ऐसा नहीं होना चाहिए। समय का अपव्यय नहीं करना चाहिए, बल्क

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इंडिया नहीं भारत बाेलाे का संदेश देने निकली दुपहिया वाहन रैली, 150 मिनट में पूरी की 11 किमी की परिक्रमा

इंडिया नहीं भारत बाेलाे का संदेश देने निकली दुपहिया वाहन रैली, 150 मिनट में पूरी की 11 किमी की परिक्रमा   इंडिया नहीं भारत बाेलाे का संदेश देने मंगलवार दाेपहर डेढ़ बजे भाग्याेदय तीर्थ परिसर में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद लेकर शहर में निकली दोपहिया वाहन रैली ने 11 किलोमीटर की परिक्रमा दाे घंटे तीस मिनट में पूरी की। मंगलवार का दिन युवाओं ने देश के नाम किया और करीब एक हजार दुपहिया वाहन पर सवार 1500 से अधिक युवाअाें अाैर वरिष्ठ जनाें ने “इंडिया नहीं भारत बोलो “ का संदेश शहर

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जीवन में पोशाक भले ही बदल जाए पर सिद्धांत कभी नहीं बदलते: अाचार्यश्री

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में साेमवार काे धर्मसभा में कहा कि जैन धर्म भाव प्रधान है मनुष्य भी पूजन करता है और त्रियंच भी पूजन करता है जिसके पास जल नहीं है तो वह समता पूर्वक शांति के साथ गुणानुवाद करता है। आचार्य श्री ने कहा महावीर भगवान और आदिनाथ भगवान के युग को नहीं बदला जा सकता है। पोशाक भले बदल जाएं पर सिद्धांत कभी नहीं बदलते आलंबन मेरे योग्य है वह करूंगा भीतरी भाव परख है तो धर्म उसी के परिणाम निकलता है आचार्य श्री ने कहा हमारी यात्रा अखंड चलती है एक एक पग चलती है अपनी चा

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दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं : आचार्यश्री

म अहिंसा परमाे धर्म की जय, अाचार्य कुंद कुंद सागर, अाचार्य ज्ञानसागर महाराज की जय। अाज रविवार है। जनता अाती है अाैर भूल जाती है कि जगह मिलेगी कि नहीं, जगह क्या है। जगह ताे दिल में मिलना चाहिए। जगह क्या है। यह लेने देने की नहीं, हमेशा दिल में जगह होना चाहिए। दिल में कितनी जगह है इसको हम नाप नहीं सकते, लेकिन हम जगह सबकाे दे सकते हैं।  दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं हाेता है। हमें अपने इस पागलपन पर राेष अाना चाहिए। धन एेसे ही नहीं अा जाता, पसीना आने के बाद ही पैसा आता ह

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अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है : आचार्य विद्यासागर

अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है : आचार्य विद्यासागर   धन सब के पास दो प्रकार का होता है एक धन घूमता रहता है और दूसरा धन स्थिर रहता है अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए दान करना आवश्यक है ये बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने शनिवार को भाग्योदय तीर्थ में शनिवार काे एक धर्मसभा में कही। आचार्यश्री ने कहा कि शरीर में आत्मा रह रही है शरीर आत्मा नहीं है। शरीर साथ नहीं दे रहा हो तो आत्मा कहती है मेरे पास पंख हैं, तुम्हारे पैर अब किसी काम के नहीं हैं। आप शरीर के नहीं आत्मा के द

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मानव काया को पुण्य का वैभव मिल जाना सुख का कारण नहीं होता: आचार्यश्री

मानव काया को पुण्य का वैभव मिल जाना सुख का कारण नहीं होता: आचार्यश्री   भाग्योदय तीर्थ में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि देवों के पास भोजन नहीं होता, वे तो सिर्फ मानसिक भोजन करते हैं। भोजन करने वाले तो मनुष्य होते हैं जो अपने हाथ आपके सामने करते हैं। देवों के पास पंच आश्चर्य तो होते हैं परंतु आहार नहीं करते।  आचार्य श्री ने कहा भारतीय संस्कृति में मुनि बनने की संस्कृति अभी जीवित है। हम यहां भी अल्पसंख्यक हैं जो चीजें दुर्लभ होती हैं वह बढ़ नहीं सकती

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दूसरों के दुख का अनुमान लगाने वालों सागर नहीं नदी बनो, वह बहती रहती है: विद्यासागर

सागर तो सागर है और सागर में हमेशा ऐसा लगता है जैसे वह सागर से बाहर आ गया हो। मांगलिक और धार्मिक कार्यों में महोत्सव जैसा उल्लास आ जाता है। धार्मिक अनुष्ठान ऐसा है जो हमेशा ही हमें त्यौहार भी दिखाते रहते हैं। यह बात आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में गुरुवार को धर्म सभा में कही। आचार्य श्री ने कहा धर्म तो धर्म है धर्म के कारण ही उल्लास होता है जब रात होती है तो 12 घंटे पता नहीं चलता, लेकिन सूर्योदय के साथ लगता है कि धर्म ही सब कुछ है। उल्लास के समय आपको इस बात का अनुभव होता है आप

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शक्कर के चक्कर में मत पड़ो, गुड़ के चक्कर में पड़ो, गुड़ में बहुत गुण: आचार्य विद्यासागर

शक्कर के चक्कर में मत पड़ो, गुड़ के चक्कर में पड़ो, गुड़ में बहुत गुण: आचार्य विद्यासागर   भाग्योदय तीर्थ परिसर में विराजमान आचार्य विद्यासागर महाराज ने बुधवार को धर्म सभा में कहा कि गुड गुणकारी है और कभी हानिकारक नहीं होता है। जबकि शक्कर के उपयोग से डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है और वह बहुत हानिकारक है।  आचार्यश्री ने कहा शुगर में डूबोगे तो निश्चित रूप से डायबिटीज हो जाएगी। शक्कर के चक्कर में मत पड़ो गुड़ के चक्कर में पड़ो, गुड़ में बहुत गुण हैं। आपके आलसी बने रहने से आपको शुगर की बीम

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जो जहां था, वहीं से चल दिया आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने

जो जहां था, वहीं से चल दिया आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने उनके पीछे-पीछे   आचार्य विद्यासागर महाराज अचानक मंगलवार को दोपहर भाग्योदय तीर्थ परिसर से निकले तो उनके विहार की पूरे शहर में खबर उड़ गई। जिसको जहां कही यह जानकारी मिली। वह आचार्य श्री की एक झलक पाने अपनी दुकान, कार्यालय और घर से बाहर निकल पड़ा, मोबाइल पर एक-दूसरे से जानकारी ले कर आचार्यश्री के पीछे चल पड़ा। वहीं आचार्य श्री ससंघ तेजी से अपने कदम बढ़ाते हुए शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए केंद्रीय जेल पहुंचे। जेल के मुख्य गेट पर

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पांच इंद्रियां तो सीमा में रहती हैं लेकिन मन का कोई ठिकाना नहीं : आचार्य विद्यासागर

आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में सोमवार को धर्म सभा में कहा कि मनुष्य पांच इंद्रीय होते हैं और सीमा में रहते हैं। स्थान छोड़कर भी नहीं जा सकते हैं। मन भी एक इंद्री है लेकिन वह घोषित नहीं है और इस मन का कोई ठिकाना नहीं है। मन को पकड़ना किसी के वश की बात नहीं है। आचार्य श्री ने कहा कि मन के विषय का कोई ठिकाना नहीं है। कहीं रूप में, कहीं गंध में तो कभी खाने और विषयों में मन कब कहां चला जाए, इसे कोई रोक नहीं सकता है। जिसने मन को मना लिया वह संयम के मार्ग पर जा सकता है।  आचार्य

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मंजिल का कोई कद नहीं होता है, लघु पथ से वह गुरु पथ की ओर जाता है: आचार्यश्री

मंजिल का कोई कद नहीं होता है, लघु पथ से वह गुरु पथ की ओर जाता है: आचार्यश्री     रविवार, आज वीरवार भी है। दूर- दूर से मेहमान आए हैं। इस बड़ी पंचायत में उन्हें पहले जगह मिलना चाहिए। आज यहां मुझे लघु रास्ते से लाया गया तो मैने पूछा यह नया- नया सा लग रहा है। जब मन में जानने की जिज्ञासा होती है तो वह उसका पूरी स्पष्टता से समाधान भी चाहती है। मैं अल्प समय में उसका अंतरंग में ध्यान रख कर बताता हूं कि आपकी जिज्ञासा जानने में नहीं जीने की इच्छा को लेकर होती है। भगवान राम रघुकुल

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फास्ट फूड से कैंसर होता है, इससे अपना बचाव करने घर का भोजन करो: आचार्यश्री

संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में शनिवार को धर्मसभा में कहा कि बच्चों में शुरू से ही संस्कार डालना चाहिए। फास्ट फूड के रूप में एक अजान फल जो पैकेट में बंद रहता है, उसके अंदर क्या है। यह मालूम नहीं तो भी उसका सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है। ये ठीक नहीं है। इसकी जगह आप सभी को घर का भोजन करना चाहिए।  आचार्य श्री ने कहा पैकेट में अंदर क्या है। पैकेट में ना तो हवा जाती है और कैसे वह बना है यह भी नहीं मालूम, बस थोड़ा चटपटा और जीभ को अच्छा लगता है इसके चलते लोग इसे

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आचार्य श्री ने कहा सरकारें आपकी होती हैं, हमारी तो भगवान के सिवाय कोई नहीं

आचार्य श्री ने कहा सरकारें आपकी होती हैं, हमारी तो भगवान के सिवाय कोई नहीं, वह कभी गलती भी नहीं करती   भाग्योदय में शुक्रवार को भी 50 से ज्यादा मूर्तियां सहस्त्र कूट जिनालय में देने की घोषणा की गई  भाग्योदय तीर्थ परिसर में शुक्रवार को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने धर्मसभा में कहा की कन्याओं को ना सोर होती है और ना ही सूतक लगती है। आपने उसे पाला और पोसा है और फिर कन्यादान कर दिया, जो देने योग्य था वह दे दिया। आचार्य श्री ने बताया कि पिता कन्या के घर जाता है तो कुछ खाता पीता नहीं है

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भावना पूरी हो चाहे नहीं पर इसे भाना श्रावक का काम है : विद्यासागरजी

भावना पूरी हो चाहे नहीं पर इसे भाना श्रावक का काम है : विद्यासागरजी   भाग्योदय तीर्थ में विराजमान संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भक्तों की भावना पूरी हो जाए जरूरी नहीं है लेकिन भावना भाना आपका कार्य है और आपकी भावना के लिए हमें लंबा प्रवास करना होगा। आचार्य श्री ने कहा कि रिद्धियों का उपयोग किया नहीं जाता है कुछ का होता भी है यह आगम के अनुकूल है रिद्धि का प्रयोग और भावना भाना अलग-अलग वस्तु होती है। यह प्रत्येक व्यक्ति के घर में आहार हो जाएं यह

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मुद्रा का मूल्य विदेश में बढ़ रहा है और भारत में घट रहा है: आचार्यश्री

मुद्रा का मूल्य विदेश में बढ़ रहा है और भारत में घट रहा है: आचार्यश्री   आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में आयोजित एक धर्म सभा में कहा कि आज आपको अर्थ आवश्यक है। मुद्रा का मूल्य विदेश में बढ़ रहा है और भारत में घट रहा है। यह क्यों हो रहा है इसे जानना होगा।  उन्होंने कहा जल और मिट्टी पर सबका समान अधिकार है। आज जल नीचे क्यों जा रहा है। जहां दूध नहीं बिकता था। वहां आज पानी बिक रहा है। आज बोतल-बोतल पानी बिक रहा है।उन्होंने कहा जब हम छोटे थे तो चवन्नी मिलती थी। उस च

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मतवाले नहीं मन वाले बनो, मन को मना लोगे तो नहीं करोगे मनमानी: आचार्यश्री

जब पैर में कांटा चुभता है तो वह अंदर की ओर चला जाता है और दर्द बढ़ता जाता है जब उसको निकालने का प्रयास करते हैं तो दर्द और बढ़ जाता है यह दर्द मन के कारण ज्यादा होता है क्योंकि मन हमारा उस कांटे की ओर ही लगा हुआ है यह बात आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में धर्म सभा के दौरान कही।  आचार्य श्री ने कहा दानदाताओं को बताना चाहिए मोह के कारण धन आपके यहां है थोड़ा सा निकाल दो और यह सोचकर यह मेरा नहीं है तो वह निकल आएगा मोक्ष जाने के लिए तन और धन कि नहीं बल्कि मन की आवश्यकता होत

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धर्मसभा : आचार्यश्री विद्यासागर ने कहा- रात 12 बजे के बाद का खाना हो जाता है विषाक्त

दिन में खाना सबसे अच्छा होता है। डबल रोटी को रसायन द्वारा फुलाया जाता है, उसमें जो छोटे छिद्र होते हैं उसमें जहरीले छोटे कीटाणु रहते हैं वह नुकसानदेह हैं रात्रि 12 बजे के बाद जो भी खाना पीना करते हो वह विषाक्त बन जाता है यह बात आचार्य विद्यासागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में रविवारीय प्रवचन में कहीं ।  आचार्य श्री ने कहा शरीर की प्रकृति के अनुसार खाना चाहिए रात में सूर्य की ऊष्मा का अभाव होने पर छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति शुरू हो जाती है अष्टमी और चतुर्दशी को उपवास रखने से शरीर को आराम

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आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का सागर में प्रवेश कल, 16 फरवरी को जेल में हथकरघा केंद्र का करेंगे शुभारंभ

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी, पांडिचेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी, मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित तीन राज्यों के जेल मंत्री और 10 डीजीपी भी आने की संभावनाएं  आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का विहार इस समय सागर की ओर चल रहा है। आचार्य संघ नरयावली तक आ गया है। गुरुवार को सुबह 8 बजे सकल दिगंबर जैन समाज सागर के लोग नरयावली पहुंचकर आचार्य संघ काे श्रीफल अर्पित करेंगे। 25 जनवरी शुक्रवार को आचार्यश्री की भाग्योदय तीर्थ पहुंचने की उम्मीद है। इसकी तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। आचार्यश्री का सागर में

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बुंदेलखंड में कहते हैं कि ड्योढ़ लगी रहती है, तब गृहस्थी चलती है, ठीक ऐसे ही हमारा संसार चलता है: आचार्य श्री

बुंदेलखंड में कहते हैं कि ड्योढ़ लगी रहती है, तब गृहस्थी चलती है, ठीक ऐसे ही हमारा संसार चलता है: अाचार्यश्री   हमारे अपने कर्म और हमारा अपना शरीर हमारे संसार के भ्रमण का और इस विविधता का कारण है। यहां तक, हमने इस बात को समझ लिया। कर्म कैसे हैं, वे हमारे साथ बंधते भी है, वे हमारे भोगने में भी आते हैं, वे हमारे करने में भी आते हैं।  तीन तरह के हैं, कुछ कर्म हैं जो हम करते हैं, कुछ कर्म हैं जिनका हम फल भोगते हैं। कुछ कर्म हैं जो हमारे साथ फिर से आगे की यात्रा में शामिल हो जाते हैं और इ

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जहां बाहर की भीड़ नहीं ज्ञान का नीड़ मिल जाए, वही सही प्रभावना है: विद्यासागर महाराज

जहां बाहर की भीड़ नहीं ज्ञान का नीड़ मिल जाए, वही सही प्रभावना है: विद्यासागर महाराज   अशुभ कर्मों के आगे सभी घुटने टेक देते हैं। अशुभ कर्मों का उदय किसी को नहीं छोड़ता, परन्तु जो कर्मों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं वह तीर्थंकर बन जाया करते हैं। उनकी प्रेरणा से ही हमारा मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो सकता है। छल्लेदर तूफानी बातों से अपना ज्ञानीपना दिखाकर भीड़ इकट्ठी हो जाए, जन-सैलाब उमड़ आए क्या इसी का नाम प्रभावना है।  चारों तरफ जन ही जन का दिखना निज का खो जाना यही प्रभावना है। स्वयं से अनजान पर

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कौन सा शब्द कहां उपयुक्त है इसके लिए सोचना पड़ता है, तत्व ज्ञान से जैसा चाहे शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं: आचार्यश्री

बहुत बार गोता लगाया, कौनसा शब्द उपयुक्त है, क्योंकि उपयुक्त होना महत्वपूर्ण है। हमें क्या करना और क्या नहीं करना...             बहुत बार गोता लगाया, कौनसा शब्द उपयुक्त है, क्योंकि उपयुक्त होना महत्वपूर्ण है। हमें क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए इसका ज्ञान होना जरूरी है। दोनों एक-दूसरे के पूरक शब्द हैं। तत्व तो दिखता है, त्व नहीं। ज्तस्य भावं इति तत्वम्ज् दिखने से दिखता है नहीं तो गौण हो जाता है।  इसलिए वह हमेशा-हमेशा घूम रहा है, भाव घूम रहा है। जिस

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चिंता ऐसी करो जिससे सबका उद्धार हो जाए, शब्द में प्रयोजन नहीं लेकिन अर्थ में प्रयोजन हुआ करता है: आचार्यश्री

शब्द में प्रयोजन नहीं लेकिन अर्थ में प्रयोजन हुआ करता है: अाचार्यश्री नवीन जैन मंदिर के मंगलधाम परिसर में चल रहे हैं प्रवचन | खुरई आप बताओ मैं तो सुनाता ही रहता हूं। एकाध बार सुन भी तो लूं। हमारे भगवान 24 हुए हैं अंतिम महावीर स्वामी का तीर्थंकाल चल रहा है, सुन रहे हो। हओ। ऋषभनाथ भगवान का समोशरण 12 योजन का था जो पुण्य कम होने से धीरे-धीरे आधा-आधा योजन घटता गया और भगवान महावीर स्वामी का एक योजन रह गया। यूं कहना चाहिए वृषभनाथ भगवान बड़े बाबा तो महावीर भगवान हमारे छोटे बाबा हैं। यह बात

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