मैं आपसे द्रव्य की,
दूरियों में रह लूँगा।
मैं आपसे क्षेत्र की,
दूरियाँ भी सह लूँगा।
किंतु आप स्वभाव में रहो,
और में विभाव में रहूँ...
यह दूरी सहन नहीं कर पाऊँगा।
“मूरत नहीं बनाई केवल, अदभुत शिल्पी बना दिया।
कविता नहीं बनाई केवल, श्रेष्ठ कवि ही बना दिया।।
गुरु ने मात्र न हीरा परखा, जौहरी उन्हें बनाया था।
ज्ञान गुरु ने विनीत शिष्य को, अपना गुरु बनाया था।''