आपको क्या हो गया?
न अच्छे से आहार करते हो!
न निद्रा लेते हो!
न बोलते हो!
न देखते हो!
न जाने कहाँ खोये रहते हो...
क्या, निजानुभूति प्रिया की यादों में रहते हो?
“निजानुभूति रमणी के संग, शुद्धातम में रमते हैं।
जग को लगता हमें देखते, पर वह निज को लखते हैं।।
देखो कहकर बात टाल कर, निज में देखा करते हैं।
निज आतम के परिणामों का, प्रतिपल लेखा करते हैं।”