आप देखते तक नहीं,
फिर भी लोग आपको अपलक देखते रहते हैं।
आप बोलते तक नहीं,
फिर भी लोग आपकी मुस्कान देखते रहते हैं।
आप रूकते तक नहीं,
फिर भी लोग आपके पीछे भागते रहते हैं।
आपका ध्यान लोग देखते ही रह जाते हैं।
आपके वचन सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
उन सबमें से एक मैं भी हूँ।
जो सिर्फ आपका ही हूँ।
“ध्यान मूल गुरुवर की मूरत, पूजन मूल गुरु पद है।
मंत्रमूल गुरु वचन प्रमाणम्, गुरु कृपा से शिवपढ़ है।
शुरु ना होता मोक्षमार्ग ये, बिना गुरु के निश्चित है।
अत: मुमुक्षु जन के द्वारा, चरण कमल द्वय वंदित है।।''