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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • हे ज्ञानसिंधु...  गुरूदेव !

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    आप तो सदा अपने में रहते हो

    और सबको अपना बना लेते हो।

    हमें अपना बना स्वयं निज में उतर जाते हो,

    दुनिया से बेखबर हो जाते हो।

    हमें अकेला छोड़कर क्यों चले जाते हो?

     

    “विद्या ज्ञान का एक अर्थ है, इक दूजे को परख लिया।

    गुरु ने अपने परम शिष्य को, अपने जैसा नाम दिया।।

    ज्ञानसिंधु में विद्या मिलकर, विद्या में जब ज्ञान मिला।

    सरल स्वभावी ज्ञानसिंधु से, जग को अनुपम दाग मिला।।”

     

    आर्यिका पूर्णमती माताजी


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    और सबको अपना बना लेते हो।

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    दुनिया से बेखबर हो जाते हो।

    हमें अकेला छोड़कर क्यों चले जाते हो?

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