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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
नंदीश्वर भक्ति प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • हे ज्ञानचक्षुगम्य दिव्यरत्नत्रयधर… गुरुदेव!

       (1 review)

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    दुनिया को समझने के लिए,

    जिस बुद्धि का मैं उपयोग करता हूँ।

    उस बुद्धि से आपको समझने का,

    प्रयास भी न करूँ।

    जिन चक्षुओं से मैं दुनिया को देखता हूँ।

    उन चक्षुओं से आपको देखने की

    धृष्टता कभी न करूँ।

    हे गुरुवर... मुझे, इतनी भक्ति देना,

    इतनी शक्ति देना।।

     

    “रत्नद्वीप के राही गुरुवर, पावन पथ को दिखलाते।

    मैं नादान अबोध बाल हूँ, मुझको निज से मिलवा दो।।

    जहाँ कहीं जाओगे गुरुवर, शिष्य आपकी छाया है।

    मुक्ति शक्ति के दाता गुरुवर, दास शरण में आया है।।"

     

    आर्यिका पूर्णमती माताजी


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    दुनिया को समझने के लिए,

    जिस बुद्धि का मैं उपयोग करता हूँ।

    उस बुद्धि से आपको समझने का,

    प्रयास भी न करूँ।

    जिन चक्षुओं से मैं दुनिया को देखता हूँ।

    उन चक्षुओं से आपको देखने की

    धृष्टता कभी न करूँ।

    हे गुरुवर... मुझे, इतनी भक्ति देना,

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