आपकी कृपा से
यह बात अनुभव में आई है कि,
अच्छी दवा का प्रभाव
तन पर पड़े बिना नहीं रहता।
सच्ची शिक्षा का प्रभाव
जीवन पर पड़े बिना नहीं रहता।
और...
आप द्वारा प्रदत्त दीक्षा का प्रभाव,
अंतर चेतन तक पड़े बिना नहीं रहता।
“जो गुरूवर को हदय धारता, भक्त वही कहलाता है।
दीक्षा का संस्कार प्राप्त कर, शिष्य वही बन जाता है।।
भक्त मात्र चरणों को छूता, शिष्य आचरण छूता है।
गुरु शिष्य संबंध अनोखा, जग के लिए अजूबा है।।”