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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • हे अभयदाता...  गुरुदेव!

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    सर्प को जहर का भय नहीं रहता,

    स्वर्ण को अग्नि का भय नहीं रहता,

    कुशल छात्र को परीक्षा का भय नहीं रहता,

    सच्चे सम्यक्रदृष्टि को भूत का भय नहीं रहता,

    और आप श्री की शरण में आने के बाद...

    अब कर्मों का भय नहीं रहता।

     

    “नीरस सा लेते आहार पर, सरस मधुर जीवन जीते।

    प्रवचन करते वचन न देते, स्वतंत्र हो समरस पीते॥

    चौथे युग सम सच्चे गुरुवर, मेरे मन में बसते हैं।

    तुम भी दर्श करो जगवालों, दर्शन से भय नशते हैं।।”

     

    आर्यिका पूर्णमती माताजी


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    रतन लाल

       1 of 1 member found this review helpful 1 / 1 member

    नीरस सा लेते आहार पर, सरस मधुर जीवन जीते।

    प्रवचन करते वचन न देते, स्वतंत्र हो समरस पीते॥

    चौथे युग सम सच्चे गुरुवर, मेरे मन में बसते हैं।

    तुम भी दर्श करो जगवालों, दर्शन से भय नशते हैं।।”

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