भिन्न-भिन्न देश की भाषा के आप हो ज्ञाता,
मूकमाटी के हो मुखबित कर्ता,
अध्यात्म वक्ता,
परमात्म पंथ के हो आप दृष्टा,
शुद्धात्म भाव के ज्ञायक,
मुनिगण नायक,
अनेक गूढ़ ग्रंथों के अनुवादक,
आपको शत्-शत् वंदन!
भावो से अभिनंदन!
“कई शतक पद्यानुवाद और भक्ति का अनुवाद किया।
मूकमाटी को मुखरित करके, परम गूढ़ अध्यात्म दिया।।
अनेक भाषाविद् गुरुज्ञानी, आगम भाषा के ज्ञायक।
ज्योतिपुंज श्री विद्यासागर, अनेक मुनिगण के नायक।।”