?प्रभु महावीर?
आचार्य भगवन 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण कमलों में सविनय कोटि-कोटि नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु ?????????
???मेरे जीवन की शायद पहली कुछ पंक्तियाँ जो तब मेरे हृदय में अनायास उद्घाटित हुई थी, जब मैं शायद कक्षा 6 वी -7वी में अध्यनरत था। अपने नवीनतम रूप में सादर समर्पित ??? -अभिषेक जैन स-परिवार
मुझें वीर से मिला दो
महावीर से मिला दो
चरणों में प्रभु थोड़ी-
थोड़ी जगह दिला दो
अज्ञान के अँधेरे प्रभु
-ज्योत से मिटादो
सूना मेरा है जीवन
सन्मार्ग पे लगादो
भवर में फसी है नैया
भव-पार तुम लगादो
अपनी शरण में लेकर
जीवन सरल बना दो
दुख-दर्द ने है घेरा
सर्वत्र है अँधेरा
कुछ भी समझ न आये
प्रभु थोड़ी मुझें कृपा दो
मानव बनें है दानव
सद्भावना जागा दो
सुखी प्रेम-नदियाँ
नीर प्यार का बहादो
लुटती धरा-धरा है
रोती वसुंधरा है
भारत माँ भी व्याकुल
पापों का अन्त न दिख रहा है
प्रभु आप ही शरण है
भव-सागर तारण-तरन है
बस चरणों में यही विनती
मुझें दास तुम बना लो
मुझें वीर से मिलादो
महावीर से मिलादो
चरणों में प्रभु थोड़ी
थोड़ी जगह दिला दो ।।
सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
?????????
-अभिषेक जैन स-परिवार
⚘⚘⚘??????