?आ।श्री।?
?108 आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण कमलों में सत-सत नमन, वंदन, अभिनंदन?
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर ???
-अभिषेक जैन सा-परिवार
नित पापों में डूबा गुरुवर
अन्तर्मन मेरा मलिन रहा
जब से गुरुवर तुझको देखा
अशुचिता का अहसास हुआ
हूँ पतित प्रभु, किंतु फिर भी
गुरुवर शरण तिहारी आया हूँ
मुझ पापी पर उपकार करो
यह भाव संजोकर लाया हूँ
उध्धार करों मेरा गुरुवर, कुछ
अन्तर्मन की बगिया खिल जावे
जो पाप तिमिर का अन्धियारा
गुरु दर्शन से सब मिट जावे
जब से तुमरी शरण गही,
मानस मेरा कुछ शुद्ध हुआ
राग-द्वेष-मद-मोह की जकड़न
प्रभु आशीष से थोड़ी शिथिल हुई
नित अशीष पाऊँ तेरा गुरुवर
तुम चरण कमल का दास हुआ
तेरे पद-पंकज की रज पा, मन
भक्ति-भाव में तुमरी लीन हुआ।।
सविनय नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर
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-अभिषेक जैन सा-परिवार