108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण-कमलों में सत-सत नमन वंदन...
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर... -अभिषेक जैन सा-परिवार
एकासना सयंम-नियम
प्रभु पालते हो सर्वदा
आहार चर्या सर्वोत्तम
त्यागमय जीवन सदा
मौन की तप-साधना
वचनगुप्ती को पालना
कायशुद्धि में हो सदा
दृग-अहिंसाव्रत साधना
स्व-पगो से चलतें सदा
वाहन-गाड़ी त्यागें सर्वथा
स्वचरण कमलों से विहार
धरती माँ का सतत उपचार
दर्द प्रकृति का कभी आपसे
छुपता नहीं, भापते स्व-शरीर
से, प्रभु कष्ट सह करके सभी
धूप-वर्षा-आंधियाँ-सरसराती
कपकपाती ठंडीयाँ-सर्दियाँ
मौसमी बदलाव के कष्ट सारे
झेलते, आत्मा में लीन प्रभु
मुख से उफ तक नहीं बोलतें
भूल मानव की रही सदा
कष्ट प्रकृति झेलती, पशु
पन्क्षी जगत हो रहे व्याकुल
सभी,जो जख्म मानव से मिलें
है प्रभु बस आप ही, पूर्ण
प्रकृतिमय रहते सदा, बदलते
हालात सब आपको है पता
आप ही वस उध्धारकर्ता
आपकों ही नमन है, संसार में
बस आपकी ही शुभ शरण है
इसीलिये प्रभु आपके चरणों की
आश है, सदा ही आपका मन दास है।।
सादर नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर
-अभिषेक जैन सा-परिवार