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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • २४. विनयांजली- आचार्य भगवन के पूरे प्राणी मात्र के प्रति उपकारों के लिये कृतज्ञता स्वरूप |

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    108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज के चरण कमलों में मेरा सत-सत नमन-वंदन

    नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर                                  -अभिषेक जैन सा-परिवार 

     

    त्कृष्ट चर्या के धनी

    तप-साधना में लीन हो

    अंतरात्मा में विराजित

    आत्मध्यान में तल्लीन हो 

     

    लू तुझें विचलित न करती

    कपकपाती शीत भी हार जाती

    धूप-गर्मी-बाधाएं सभी पानी भरती 

    मोक्षसुख की राह पर अडिग प्रभु आपहों

     

    कर्तव्य पथ से कभी विचलित न गुरुवर 

    आश्चर्य क्या फिर आपमें स्व-चमत्कार हो

    प्रकृति भी श्रेष्ठ साधक की रहती गुलाम है

    सृष्टि की सारी आलौकिकता आपमें अभिराम है

     

    किन्तु निज आत्मा के अतिरिक्त आपका न ध्यान है

    संसार की सारी ही निधियाँ चरण कमलों की दास है

    स्व-प्रशंसा की लघुता आप में अब शेष न

    मुस्कुरातें आप गुरुवर श्रावकों की अल्पज्ञता 

     

    धन्य-धन्य ये जीवन मेरा, जो आपसा है गुरु मिला

    दर्श मात्र से ही ये मेरा मलिन पापी मन दर्पण खिला

    आपकी प्रभु भक्ति में मेरे ये सुबहों-शाम है, आठोंयाम है

    आपके चरणों में गुरुवर, सत-सत मेरा वंदन-प्रणाम है।।

     

    सादर नमोस्तुते नमोस्तुते नमोस्तुते 

    अभिषेक जैन सा-परिवार

     


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