108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरण कमलों में सत-सत नमन-वन्दन
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर - अभिषेक जैन सा-परिवार
आतम से नित में
रहा दूर, होकर विषयों
में चूर-चूर
निज देह के बन्धन
बाँध रहे, नश्वर सुख
के पीछे-पीछे
पल-पल भाग रहें
यह चाह कहा ले जायेगी
कभी शिव-सुख
मार्ग दिखायेगी, या
रहूँ सदा मैं आत्म-मुग्ध
किन्तु छुब्ध-छुब्ध
इस जीवन का सार
न मिल पाया, व्यर्थ
रही ये जड़ काया
अब तेरी शरण में
आया हूँ, प्रति-पल जग
से छल ही पाया हूं
अब तुझ से है पहचान
हुई, निज-आतम की
शुभ शरण मिलीं
अब जग विषयों की कुछ
चाह नहीं, निज-आतम
की ही राह सही
वस मुझें शरण मैं रख लेना
मेरे पापों पर ध्यान नहीं
देना, बस चाह मेरी
मुझको सन्मार्ग दिखा देना
जीवन का लक्ष्य सिखा
देना, इतनी-सी आश मेरी।।
गुरु चरणों में कोटि-कोटि नमन
-अभिषेक जैन सा-परिवार