108 अचार्य गुरुवर के श्री चरणों में स-परिवार कोटि-कोटि नमोस्तु
-अभिषेक जैन सा-परिवार
शान्ति के पथ प्रदर्शक
अहिंसा के अविरल उपासक
सत्यपथ के हो मार्गगामी
सुख स्वरूपी, आत्मध्यानी
अपरिग्रह आधार तेरा
ब्रम्हचारी, सदाचारी
वीतरागी, स्वनुरागी
शिवपथ के सदागामी
प्रकृतिवादी, अन्नाहारी
अस्नानव्रत के हो पालक
एकासना व्रत के उपासक
छबि दिगम्बर, रूप निर्मल
इसीलिए प्रभु गुणगान तेरा
अज्ञानतम के हरण हेतु
तू सूर्य सम करता उजेला
है प्रभु तुझको नमन है।।
सादर समर्पित
-अभिषेक जैन सा-परिवार