फिर उठी मेरी कलम🖊 लिख डाली इस युग की रामायण जिसमें वितरागी श्री राम:- *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* एवम् शबरी :- *गणनी प्रमुख ज्ञान मती माताजी* के रूप में ।।
✒ *डॉ विद्या जैन* 🖊
शबरी श्री राम से मिलने आई,
श्रद्धा के बेर🍈 झोली भर लाई,
चंदना ने भर👁 नेत्र👁 वीर को देखा,
दिया था आहार खिची 📏स्मरती रेखा,
न जाने कब होंगे 🙏दर्श🙏 दुबारा,
स्मरती पटल का खुला है
⛩द्वारा⛩,
🦵🦵बिहार🦵🦵 करने का मन नहीं होता,
👣चरणों 👣में बैठें यही शांति का श्रोता,
सरिताए सिंधु में ही मिलती हैं,
🌅प्रातः काल 🌄की
🌷कलियां🌷 खिलती है,
🌍प्रथ्वी🌎 के दो छोर मिलन की बेला🕰,
युग इतिहास लिखेगा अद्भुत था यह 🎡मेला🎢।।
कवित्री:-
**डॉ विद्या जैन*
*इटारसी**
*निवेदन* :-
इस कविता को बीना काट झाट कर इतने आगे बढ़ाए ताकि एक भक्त कि भक्ति इस कविता के रूप में गुरु तक पहुंच जाए।।
🙏🙏🙏🙏