???आचार्य श्री विद्यासागर जी???
-नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर
-अभिषेक जैन 'अबोध' सा-परिवार
सयंम स्वर्ण महोत्सव के पावन अवसर पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों में एक छोटी सी विनयाजंली सादर समर्पित???
आचार्य श्री जी की चर्याये,
सब जीवों के हितकारी है
सानिध्य गुरु का मिला हमें
हम सब अति भाग्यशाली है
जन्मों-जन्मों के शुभ कर्मों से
कलयुग में गुरुवर शरण मिली
गुरू वाणी हृदय विराजित कर
वर्षों से सोयी ज्ञान लता खिली
है ज्ञानी ध्यानी शिवगामी गुरुवर
तुम ज्ञान सूर्य हम मिथ्या अज्ञानी
तुम त्याग, तपस्या की निश्चल मूरत
हम विषय-वासना में रत पापी कामी
है योगीश्वर, है आराधक, जिन नायक
बड़भाग्य हमारा जो तुमसे पहचान हुई
हम जग विषयों में अब तक भटके थे
निज आत्म तत्व की शुभ समझ जगी
मैं भटका मिथ्या जग की चर्याओं में
नित सांसारिक भोगो में ही लीन रहा
न जाना सच्चें सुख की परिभाषा को
भौतिक वस्तु पाने में ही अल्मस्त रहा
है गुरुवर जब से शरण तुम्हारी आया हूँ
मन इन झूठे जग विषयों से घबराया है
बस शाश्वत मोक्ष मार्ग को समझ सकूँ
भक्ति भाव से शरण तिहारी आया हूं।।
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु गुरुवर
?????????
-अभिषेक जैन सा-परिवार