आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी मुनि महाराज
आचार्य भगवन के चरणों में मेरा परिवार सहित बारम्बार सादर नमोस्तु गुरुवर... -अभिषेक जैन
आत्मा का ज्ञान क्या है
सच्चें साधुओं की पहचान क्या है
क्या है संयम, क्या नियम हो
शुद्धता की क्या निर्मल अवस्था
भक्त से भगवान तक
पहुँचने का मार्ग क्या है
कठिन इस तप-साधना का
सबसे उत्तम मार्ग क्या है
कौन से वे भाव है
जो जगत में है भ्रमाते
और वे शुभ भाव क्या है
इनसे जो पीछा छुड़ाते
कर्मों की क्या-क्या दशा है
किसमे क्या-क्या फल निहित है
त्रिलोक का विज्ञान क्या है
प्राणी की निज पहचान क्या है
ये सभी तुम जान सकते
खुद को है पहचान सकते
बस प्रभु की शरण पा लो
तत्त्व का चिंतन जगा लो
मैं प्रभु बस यह चाहता हूँ
भव-सागरों में भटकता
अब मुक्ति-पथ मैं चाहता हूँ
आपकी ही शुभ शरण है
आप के बस चरण गुरुवर
का ही बस अब आसरा है
और कोई न सहारा
बस आपसे ही वास्ता है
आप ही भगवन हो मेरे
आप ही का चिन्तवन है
अब नहीं कुछ भी है मेरा
जो मिला सब आपका है
बस चरण में शरण दे दो
मेरे हृदय की बस यहीं इक
कामना है।।
सादर नमोस्तु गुरूवर
-अभिषेक जैन