कुंद-कुंद से दिगम्बर ज्ञान समुंदर हो
विद्यासागर वसुंधरा पर मेरे गुरुवर हो
कुंदकुंद से.....................
भू नभ से भी विशाल होकर सबको समा लिया-2
सदाचरण से ऊँचे पहुँचे, हिमगिरी हरा दिया-2
जैनधर्म की पावन गंगा ऽऽ-2 जग पावन कर दो
विद्यासागर.....................
अंधकार मय इस धरती पर, रवि सम उदित हुये-2
पाप तिमिर जब हटा गुरु तो, हम सब मुदित हुये-2
तुम तेजस्वी महाकवि हो ऽऽ-2 हमको कवि कर दो
विद्यासागर...................
मन का संयम वचनों का यम तन का संयम दो-2
रसना संयम, दृष्टि संयम, इन्द्रिय संयम दो-2
संयम के भंडार हो गुरुवर ऽऽऽ-2 तुम जैसा कर दो
विद्यासागर..................