कुण्डलपुर में छाया था, बड़े बाबा का बोल
छोटे बाबा के आने से, बन गया ये अनमोल
भक्तों की भक्ति से, गुंजे तीनों लोक
बाबा की भक्ति से, डोल रहे सब लोग
ला ला...............
बड़े बाबा के चरणों में हम सब गायें
आओ चलो भक्ति से, झूम के गायें
ये वादा न छूटे, ये बंधन न छूटे ।
शाम ढलने वाली है, बस भक्ति का शोर
तरमपरम धारा जो बहती है, बहती रहती है।
शांति, वीर, शिव, ज्ञान से, विद्या बनती है।
कुण्डलपुर.................
गुरुवर का पुरुवर से रिश्ता न्यारा
भक्ति करके थके कभी ना कण्ठ हमारा
ये भक्तों की भक्ति, भक्ति की ये शक्ति
भक्ति को पाकर के, हर कोई तर जाये ।
तरम वय, स्वर को उठा ले तू गूंज उठे हर तार
गुरु पुरु के भक्तों ने, बोली जय-जयकार
कुण्डलपुर.......................