समता को धारने वाले, भव पार कराने वाले
आतम को ध्याने वाले, भक्तों को तिराने वाले
इन गुरु को शत्-शत् वंदन है।
चरणों में अर्चन है।
तुम ही मेरे भगवान हो, मैं तुम पे वारी जाऊँ
तेरे चरणों में आकर के, शत् शत् शीश झुकाऊँ
तेरे आशीष चरणों में, मस्तक को झुका देगे हम
तेरी महिमा गा करके, दुनिया को बता देगे हम
इन गुरु...............
ममता के मंदिर की है, तू सबसे प्यारी मूरत
भगवान नजर आता है, जब देखें तेरी सूरत ।
जब-जब हम तुमको ध्यायें, तेरी ही शरणा पायें
तेरा नाम जपे जो गुरुवर, मन वांछित फल पा जाये
इन गुरु को...............