ओ पूनम के चंदा गुरुवर तुमको अपना मानूं-2
मेरे मन के आँगन में इक बार खिलो तो जानू।
ओ पूनम.................
हृदय जलाया ज्ञान का दीपक, दूर किया अँधियारा-2
रत्नत्रय का बाना पहना, पंच महाव्रत धारा-2
अँधियारे में चमक चाँदनी तुमको अपना मानू
मेरे मन...................
वन पर्वत और कंदराओं में, ध्यान मगन रहते हो-2
भीड़ लगी रहती भक्तों से, आप घिरे रहते हो-2
नयन दर्श बिन हुये बाबरे, प्रति की रीत जानू।
सबको छोड़ अकेले में, इक बार मिलो तो जानू।
ओ पूनम..................
कई बार भेजा है न्यौता, मेरे इन होठों ने-2
तुम कंचन की एक कसौटी, मैं तो हूँ खोटो में
सदियों से बीमार विषय का रोग नहीं पहचानू ।
तुम ही हो औषधि मेरी, इक बारे मिलो तो जानू।
ओ पूनम....................