कभी खुशी में कभी ये गम में निकल ही आते हैं
चार आँसू मगर गुरुवर तेरी याद में निकल पड़े बेसुमार आँसू
श्री विद्यासागर तुम्हारे दर की मैं रोज चौखट करूंगा गीली
मुझे भरोसा है एक दिन तो करा ही देंगे दीदार आँसू
कभी खुशी में......
हे मेरे गुरुवर सिवा जहाँ में मिला न कोई गुरु भी ऐसा ।
जो आके मुझसे ये पूँछ लेता, क्यों आए आँखों में आज आँसू
कभी खुशी में.....
मेरी दुआ में है दर्द इतना न रोक पाओगे आप खुद को
कभी तो मुझ पर कृपा करोगे फिर न बहेंगे कभी ये आँसू
कभी खुशी में....
मैं श्रद्धा से भक्ति में पिरोकर चढ़ा रहा हूँ तुम्हें जो मोती
यह है हमारी विशुद्ध पूँजी न लाया कोई उधार आँसू
कभी खुशी में.....