स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा है, गुरुवर का द्वार।
बना रहे आशीष आपका, आये गुरु के द्वार॥
गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2
(गुरु अशीष न छूटे, चरण की छाँव न छूटे)
सूने जीवन की बगिया को आकर के महकाया।
फूल खिलाये सौरभ दे, काँटो से है बचाया।
जन्म-जन्म भटके जीवन में, दिशाबोध अब पायें।
गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2
गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....
ज्ञान-दिवाकर की लाली सब जग में है बिखराई ।
चंदन सी शीतलता दे, जन-जन की ताप मिटाई ॥
समवशरण की अद्भुत महिमा का दर्शन करवाया।
गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2
गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....
माता-पिता तुम मेरे, सच्चे गुरु हमारे।
तुमसे मिला ये जीवन, तुम हो भगवान हमारे॥
कहाँ मिलेगी इतनी ममता, इतना प्यार-दुलार।
कभी गुरुद्वार न छूटे, चाहे ये जान भी रुठे
गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2
गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें.....
भावों की भींगी कलियाँ, गुरु चरणों में है लाये।
करके श्रद्धा हे गुरुवर, महिमा तेरी गाये ॥
मुक्ति मंजिल देने वाले, है विश्वास हमारा।
गुरु का द्वार न छूटे, चरण की छाँव न छूटे-2
गुरु उपकार न भूले, सभी मिल चरणों पूजें......